तेजी से घटते भू-जल स्तर के कारण गहराते जलसंकट से पूरा विश्व चिंतित है। इसे देखते हुए जल संरक्षण के लिए बस्तर जिले में मानसून के पहले 200 तालाब और 1500 डबरियां बनाई जाएंगी। जिला कार्यालय के प्रेरणा कक्ष में जल संरक्षण के लिए आयोजित संगोष्ठी में कलेक्टर श्री रजत बंसल ने विभागीय अधिकारियों को इस पर त्वरित अमल के निर्देश दिए। संगोष्ठी में पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री इंद्रजीत चंद्रवाल, जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री केेएस भंडारी सहित जल संसाधन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, वन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, इंद्रावती बचाओ अभियान के सदस्यगण उपस्थित थे। इस अवसर पर इंद्रावती बचाओ अभियान के सदस्यों ने इंद्रावती नदी का भेजापदर से लेकर चित्रकोट तक मुआयना करने के बाद इंद्रावती के संरक्षण के लिए प्रतिवेदन भी कलेक्टर को सौंपा।
कलेक्टर श्री बंसल ने इंद्रावती नदी में जलप्रवाह की निरंतरता को बनाए रखने के लिए एनीकट के पास जमा होने वाले रेत के उठाव के लिए नियमानुसार रेत खनन की अनुमति प्रदान करने के निर्देश खनिज विभाग के अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में शासकीय भवनों और परिसरों में जल संरक्षण के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य किया जाएगा, वहीं घरों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए नगर निगम द्वारा कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने जोड़ी जतन योजना के तहत नदी-नालों के संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए इंद्रावती बचाओ अभियान के सदस्यों से आगे आने की अपील की। इसके साथ ही पिछले बारिश के पूर्व लगाए गए पौधों की वर्तमान स्थिति की जानकारी भी ली जाएगी। कलेक्टर ने प्रसिद्ध चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात सहित मेंदरी घूमर, तामड़ा घूमर, चित्रधारा, मंडवा और बीजाकसा जलप्रपात में निरंतर जलप्रवाह बनाए रखने के लिए जल संसाधन विभाग, वन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को संयुक्त रुप से सर्वेक्षण करने और जिले में स्थित प्राकृतिक जलकुंडों के संरक्षण की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए। जगदलपुर के दलपत सागर के जलमार्गों में किए गए अवैध अतिक्रमणों के विरुद्ध कार्यवाही के निर्देश भी दिए।
कलेक्टर ने स्टॉप डेम के संरक्षण के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही विभागीय अधिकारियों की समिति गठित करने और ओड़ीसा सरकार द्वारा जोरा नाला के आसपास किए जा रहे कार्यों की निरंतर निगरानी के संबंध में भी जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया।