छत्तीसगढ़

दिव्यांग बच्चो के लिए 160 शिक्षकों की हुई नियुक्ति

Shantanu Roy
23 Jan 2023 1:12 PM GMT
दिव्यांग बच्चो के लिए 160 शिक्षकों की हुई नियुक्ति
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रायपुर। आर.सी.आई. प्रशिक्षित शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ (दिव्यांग बच्चों की सेवा में समर्पित) द्वारा एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रर्दशन दिनांक- 23/01/2023 स्थान- धरना स्थल (बुढ़ा तालाब) रायपुर में सफलता पुर्वक किया गया। जिसमें दिव्यांगजन हितार्थ हमारी 3 प्रमुख मांगे निम्नलिखित रहा-
1-भारत सरकार के आदेशानुसार राजपत्र प्रकाशित करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा, शासकीय स्कूल में विशेष शिक्षक के पद गठन कर तत्काल नियुक्ति की जावे।
2-दिव्यांगजन अधिकार विधेयक-2016 के अनुसार राज्य में दिव्यांग मंत्रालय का गठन किया जावे।
3-दिव्यांग शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तरीय शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र की स्थापना किया जावे।
धरना हेतु हमारी मांगो पर अपनी सहमति देते हुए अन्य संगठन- छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ, प्रशिक्षित विशेष शिक्षा कल्याण संघ छत्तीसगढ़, नासेर्प छत्तीसगढ़, अमरज्योति दिव्यांग कल्याण संघ, दिव्यांग बच्चोें के अभिभावक एवं स्थानीय जनसेवकों से भी समर्थन प्राप्त हुआ । समर्थक संगठन प्रमुखों ने धरना स्थल पहुंचकर दिव्यांगजनों की समस्याओं व उनके मुल आवश्यकताओं के प्रति अपना विचार साझा किये।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को दिव्यांग बच्चों के शिक्षण हेतु भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के परिपालनार्थ रजनीश पाण्डेय एवं अन्य द्वारा रिट याचिका (सिविल) सं 2017 के 876 की शीर्ष अदालत ने अंतरिम सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश महोश्वरी एवं जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने दिव्यांगों के हक में 100 पन्ने के आदेश में केन्द्र एवं राज्य सरकारों कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार को दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष अध्यापकों (स्पेशल एजुकेटर) की नियुक्ति छह माह में पूरा करने का निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रायः स्कूल में विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों के लिए संविदा के आधार पर विशेष शिक्षकों (स्पेशल एजुकेटर) की नियुक्ति कर देते हैं, जिनका कार्यकाल अनिश्चित होता है।
जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने 7 सुत्रीय गाईडलाईन भी जारी किया जिसमें विशेष स्कूल एवं सामान्य स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियमित भर्ती हेतु अलग-अलग मानदण्ड पर उचित अनुपात में भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली से पंजीकृत स्पेशल एजुकेटरों के स्थायी पर सृजित करते हुए 6माह के भीतर पुरे देश में नियुक्ति पूर्ण करने के निर्देश दिए गये है। इसके बावजुद भी छत्तीसगढ़ शासन वर्तमान में केन्द्र सरकार के बजट से पुरे राज्य हेतु शिक्षा विभाग में कक्षा 9वी से 12वी के 20 हजार दिव्यांग छात्रों की विशेष आवश्यकता की पूर्ति के लिए मात्र 150 स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति (संविदा आधार पर केवल 3 माह के लिए, केन्द्रीय बजट मिलने पर संविदा अविध बढ़ाई जाने शर्त में) प्रकिया में है, आज की स्थिति में 50 विशेष शिक्षकों की ही भर्ती पूर्ण हो पाई है, उसमें भी 3 माह की कार्यअवधि पूर्ण कर चुके घर बैठे भटकाव की स्थिति में आ गये है, जो कि दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई के प्रति शासन की संवेदहीनता और ढील रवैया को इंगित करता है। वहीं प्रशिक्षित बेरोजगार की भविष्य के साथ खिलवाड़ करना हो गया है। राज्य के सामान्य स्कूलों में डाईस डाटा-2022 के अनुसार 51352 बच्चें अध्ययनरत है, जनसंख्या के आधार पर अनुमान लगाये तो ये आंकड़ा भी करीब 70 हजार होना चाहिए, जिनके लिए महज 158 बीआरपी (सीडब्ल्यूएसन) संविदा कर्मचारी के रूप में ही वर्तमान में कार्यरत है। केन्द्रीय राजपत्र सीजी-एलडी-इ-29092022-239224 दिनांक 29-09-2022 को जारी पत्र अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भी विशेष शिक्षकों का सेटअप तैयार किया जाना है।
जिसकी अधिसूचना जारी किये जाने की आवश्यकता है। दिव्यांगजन अधिकार विधेयक 2016 के अनुसार राज्य में दिव्यांग मंत्रालय के गठन की भी आवश्यकता है, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए स्वतंत्र मंत्रालय की स्थापना होने पर उन्हे, सुनवाई और संसाधन की सुविधा सरल हो सकेंगे। राज्य में दिव्यांग शिक्षा एवं प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तरीय शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र की स्थापना होने पर विशेष शिक्षा के प्रति आमजन में रूचि बढ़ेगा, इससे राज्य को भावी पीढ़ी को नई शिक्षा निति के अनुरूप विशेष बच्चों के अध्यापन हेतु योग्य मानदंड वाले संसाधन स्त्रोत व्यक्ति (स्पेशल एजुकेटर) की उपलब्धता हो सकेगा। क्योकि विगत 10 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विशेष शिक्षको की भर्ती ही नहीं कर पाई है, नतीजन इस दिशा में विशेष शिक्षा के डिग्री/डिप्लोमा धारी अब तक बरोजगार घुम रहें, रोजगार के अवसर नहीं होने की वजह से नवयुवकों में इस प्रकार की शिक्षा के प्रति उदासीन नजर आते है, परिणाम स्वरूप वर्तमान में राज्य में राजिस्टर्ड प्रो फेसनल्स की संख्या 2000 से भी कम है। जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में पंजीकृत प्रकरण डब्ल्यू पी (सी) नं.132 आफ 2016 रिट पिटीशन सीविल (द्वारा) रजनीश कुमार पाण्डेय एवं अन्य विरूद्ध यूनियन आफ इंडिया पर माननीय न्यायालय ने दिनांक 28 अक्टूबर 2021 को निर्णय पारित में ये भी उल्लेख किया है कि शिक्षक छात्र अनुपात के आधार पर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए प्री प्राइमरी से प्राइमरी स्तर पर 10 सीडब्ल्यूएसएन बच्चों पर 1 विशेष शिक्षक एवं मिडिल से हायर सेकेण्डरी स्तर पर 15 सीडब्ल्यूएसएन बच्चों हेतु 1 विशेष शिक्षक की स्थायी नियुक्ति करने को कहा है। इस अनुपात के अनुसार राज्य में अनुमानित 6000 से भी अधिक विशेष शिक्षकों की जरूरत महसूस होती है। ऐसे में 158 बीआरपी और 150 स्पेशल एजुकेटर की भर्ती नितीसंगत और खानापूर्ति मात्र हो गया है। जिसके चलते विशेष शिक्षकों व दिव्यांग छात्र के पालकों का गुस्सा लाजमी है। इसलिए दिव्यांग छात्रों के शिक्षा व्यवस्था एवं उनके आवश्यकताओं, जरूरत के मुलभुत सुविधाओं, प्रशिक्षित बेरोजगारों को सम्मानजनक स्थायी नौकरी इत्यादि मागों को लेकर एक दिवसीय सांकेतिक धरना के साथ आर सी आई प्रशिक्षित शिक्षक संघ छत्तीसगढ़, नेशनल एसोसिएसन आफ स्पेशल एजुकेटर नासेर्प, छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ (बीआरपी),प्रशिक्षित विशेष शिक्षा कल्याण संघ, एवं अमर ज्योति दिव्यांग कल्याण संघ के समर्थन में पांच संगठनों द्वारा सामूहिक 3सुत्रीय मांग के साथ ज्ञापन सौपा गया। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में विशेष शिक्षकों की भारी कमी है, जबकि सुप्रीमकोर्ट आदेश के बाद से अन्य राज्यों ने भर्ती आरंभ कर दिया है, पड़ोसी राज्य झारखंड में 3421 विशेष शिक्षक की स्थायी भर्ती चल रही है, महाराष्ट्र सरकार ने दिव्यांग मंत्रालय की स्थापना कर नियमित भर्ती आरंभ कर दी है,इसी प्रकार राजस्थान में 45500 नियमित विशेष शिक्षक, दिल्ली 2000 नियमित विशेष शिक्षक,गुजरातमें 3000 नियमित विशेष शिक्षक, केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा1225 विशेष शिक्षक, त्रिपुरा 400 विशेष शिक्षकों की भर्ती के लगभग अंतिम चरणों में है।
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