छत्तीसगढ़

16 करोड़ के इंजेक्शन से बचेगी जिंदगी: कंपनी ने दी रकम को मंजूरी, खरीद प्रक्रिया जल्द होगी पूरी

jantaserishta.com
21 Nov 2021 3:04 AM GMT
16 करोड़ के इंजेक्शन से बचेगी जिंदगी: कंपनी ने दी रकम को मंजूरी, खरीद प्रक्रिया जल्द होगी पूरी
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कोरबा. दुर्लभ बीमारी से जूझ रही छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मासूम सृष्टि को जल्द नया जीवन मिलेगा. बच्ची की जान बचाने के लिए उसे 16 करोड़ का एंजेक्शन लगेगा. कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने राशि की स्वीकृति देने के साथ शुक्रवार को एसईसीएल दीपका प्रबंधन ने सृष्टि रानी के पिता को 16 करोड़ रुपए का डायरेक्टर एम्स नई दिल्ली के नाम का चेक दिया है. एकल रूप में देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी और कोल इण्डिया की सब्सिडीएरी एसईसीएल ने नेक पहल करते हुए अपने एक कोयला कर्मी की दो साल की मासूम बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत दी है. एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी 'स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी' (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है.

अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पाती और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है. इसका इलाज बेहद ही महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन 'जोलजेंस्मा' की कीमत 16 करोड़ रुपए है. अब कोल इंडिया ने बेटी के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है.
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश कुमार ने बताया कि कर्मी को अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था. कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है. एसईसीएल दीपका के माइनिंग जीएम शशांक कुमार देवांगन ने सृष्टि के पिता को 16 करोड़ का चेक सौंपा है. 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन सात संमदर पार से आना है, लेकिन परिवार के सामने इतनी बड़ी रकम जमा कर पाना एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे में परिवार और मासूम सृष्टि की थमती सांसों को लोगों की मदद की आस थी. सतीश कुमार रवि के छोटे से परिवार में सब कुछ सही चल रहा था. 22 नवंबर 2019 को सतीश के घर मासूम सृष्टि के जन्म के साथ नई खुशियां आई. लेकिन कुछ महीने बाद ही मानो इस परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया.
मासूम सृष्टि 5 महीने की होने के बाद भी स्वस्थ नहीं थी. परिवार के लोगों ने मासूम सृष्टि को बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाते, उससे पहले ही मार्च महीने में कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया. लिहाजा स्थानीय स्तर पर मासूम सृष्टि का इलाज किया जाता रहा, लेकिन सृष्टि को हुए गंभीर बीमारी का पता नहीं चल सका. 14 दिसंबर को सतीश अपनी मासूम बेटी को इलाज के लिए सीएमसी वैलूर लेकर गए, जहां डाक्टरो ने मासूम सृष्टि के कई टेस्ट किए और उन्हीं टेस्ट के एक रिपोर्ट में मासूम सृष्टि को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाईप-1 नामक गंभीर बीमारी के होने का पता चला, जिसका इलाज डॉक्टरों की टीम ने सात समंदर पार होने की जानकारी परिवार के लोगों को दी.
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