बिहार

हिरासत में लिये गये युवक की इलाज के दौरान मौत

Shantanu Roy
28 Dec 2022 6:25 PM GMT
हिरासत में लिये गये युवक की इलाज के दौरान मौत
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बड़ी खबर
बेगूसराय। सुशासन की सरकार पुलिस पब्लिक फ्रैंडली होने की चाहे जितनी बात कह लें, लेकिन गाहे बगाहे पुलिस का बेरहम चेहरा सामने आ ही जाता है। ताजा मामला चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र के श्रीपुर पंचायत गाछी टोला से सामने आ रही है, जहां कि भातू पासवान के पुत्र भीम पासवान की मौत पुलिस की पिटाई के कारण मौत हो जाने की बात कही जा रही है। पीएमसीएच में दस दिनों तक इलाज के बाद मौत से ग्रामीणों में चेरिया बरियारपुर थाना पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 16 दिसम्बर की शाम भीम पासवान एक पड़ोसी का दाह संस्कार कर घर पहुंचा ही था कि पुलिस की गाड़ी आ धमकी तथा भीम को पकड़कर पिटाई करने लगी। पुलिस कर्मी पिटाई करते हुए गाड़ी मे बैठाकर थाना ले गई तथा वहां भी बेरहमी से पिटाई की गई। इस बीच स्थिति बिगड़ने पर सीएचसी चेरिया बरियारपुर मे भर्ती कराया, रात 11 बजे बिछावन एवं कपड़े पहुंचाने की सूचना पर परिजन सीएचसी पहुंचे तो भीम को बेसुध अवस्था में स्लाइन चढ़ते देखा तथा पुलिस ने जेल भेज देने की बात कहकर वापस लौटा दिया का।
परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि घायल भीम पासवान को सुबह में कागजी कार्रवाई के बाद उसी हालत मे जेल भेज दिया गया। लेकिन जेल अधीक्षक ने उसकी हालत को देखते हुए जेल में रखने के बदले सदर अस्पताल भेजने की सलाह दी। इसके बाद सदर अस्पताल में भर्ती कराने की सूचना परिजनों को दिया गया, जहां 25 दिसम्बर तक इलाज के बाद उसकी स्थिति मे सुधार नहीं होता देख चिकित्सकों ने हायर सेंटर पटना के लिए रेफर कर दिया। जहां कि पीएमसीएच में इलाज के दौरान 27 दिसम्बर की रात उसकी मौत हो गई। 28 दिसम्बर को उसके मौत की सूचना पुलिस मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मृतक ताड़ी उतारकर बेचने का काम करता था, फिर भी पुलिस मासिक राशि तय किए हुए थी। एक माह की राशि नहीं देने के कारण ही शराब बनाने एवं बेचने का आरोप लगाते हुए पिटाई कर जेल भेजा जा गया था, जहां बेरहमी से पिटाई के कारण मौत हुई है। स्थानीय विधायक राजवंशी महतो ने कहा है कि पुलिस को मारने पीटने का कोई अधिकार नहीं है, यदि पुलिस की पिटाई से मौत हुई है तो पुलिस दोषी है। मंझौल डीएसपी ने इतनी बड़ी घटना होने पर भी हस्तक्षेप करना और पीड़ित परिवार की सुधि लेना मुनासिब नहीं समझा, यह गलत है। इस संबंध में स्थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि अवैध शराब और शराब बनाने के उपकरण के साथ गिरफ्तारी हुई थी। 17 दिसम्बर को गिरफ्तारी के बाद न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। पुलिस के द्वारा मारपीट नहीं की गई थी, मामला जेल प्रशासन से संबंधित है।
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