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समस्तीपुर। समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर में मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ‘मानसिक स्वास्थ्य एक वैश्विक मानवाधिकार’ विषयक कार्यशाला का आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ. रीता चौहान की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को महसूस करता है। जीवन के सामान्य तनावों से निपट सकता है, उत्पादक और फलदायी रूप से काम कर सकता है और अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम है।
हालांकि, दुनिया भर में हर चार वयस्कों में से एक को अपने जीवन में किसी न किसी बिंदु पर मानसिक स्वास्थ्य विकार का अनुभव होगा। सहायक प्राध्यापक डॉ. कौशलेंद्र झा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है। वे विकलांगता, उत्पादकता में कमी और सामाजिक अलगाव का कारण बन सकते हैं। वे आत्महत्या के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं।
सहायक प्राध्यापक डॉ. कुमारी माला यादव ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सभी को अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार है। यह एक बुनियादी मानव अधिकार है, ठीक उसी तरह जैसे शारीरिक स्वास्थ्य या शिक्षा का अधिकार। सहायक प्राध्यापक डॉ. अरुण कुमार राय ने कहा कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में हम सभी की भूमिका है। हम मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुले तौर पर और ईमानदारी से बात करके शुरू कर सकते हैं। हम मानसिक स्वास्थ्य संगठनों का समर्थन और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की वकालत भी कर सकते हैं। सहायक प्राध्यापक डॉ. इमाम अली ने कहा कि इंटरनेट मीडिया के ज्यादा उपयोग के कारण बच्चों में एकाग्रता की शक्ति कम होती जा रही है। इसलिए स्वजन को यह पता
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