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बिहार | ये 2010 की बात है, जब राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपनी जनसभा से लेकर संसद के भीतर भाषणों में एलान करते थे-मेरी लाश पर महिला आरक्षण बिल पास होगा. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का बिल राजनीतिक डकैती है, इसे कभी पास नहीं होने देंगे. 27 सालों तक लालू यादव और उनकी जमात के तीन नेताओं ने महिला आरक्षण बिल को पास नहीं होने दिया. लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार इस बिल को पारित कराने जा रही है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस बिल को सबसे पहले कांग्रेस और नीतीश कुमार की पार्टी ने समर्थन देने का एलान कर दिया है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या लालू प्रसाद यादव इन दोनों पार्टियों ने अपना नाता तोड़ लेंगे. जिस महिला आरक्षण बिल को उन्होंने 27 सालों तक रोके रखा, वह कांग्रेस और जेडीयू के समर्थन से पास होने जा रहा है. क्या अब बेटे को सेट करने के लिए लालू प्रसाद यादव पुराना सारा इतिहास भूल गये. फर्स्ट बिहार के पास राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का वीडियो है. ये 2010 का है. जब केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला बिल पेश किया था. 8 मार्च 2010 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया था. 8 मार्च 2010 को राज्यसभा में राजद के सांसद राजनीति प्रसाद ने बिल को फाड़कर सभापति हामिद अंसारी पर फेंक दिया था. राजद के एक और सांसद सुभाष यादव ने सदन के भीतर जमकर उत्पात मचाया. राजद और सपा के सांसद सभापति की मेज पर चढ़ गये औऱ माइक उखाड़ दिया. आखिरकार सभापति हामिद अंसारी ने मार्शल को बुलाकर राजद और सपा के 7 सांसदों को सदन से बाहर कराया और तब 9 मार्च 2010 को बिल पास कराया गया।
लेकिन यूपीए सरकार लालू यादव और मुलायम सिंह यादव की धमकियों के बाद बिल को लोकसभा से पास कराने से डर गयी. लालू यादव ने तब कहा था-“राज्यसभा में पारा मिलिट्री फोर्स मंगवा कर, सीआरपीएफ मंगवा कर हमारे और समाजवादी पार्टी के एमपी को बाहर फिंकवा दिया. आओ तो लोकसभा में, हम वहां हैं. फिकवा दोगे. लालू यादव का लाश उठेगा तभी लोकसभा से बिल पास होगा.”मार्च 2010 में जब केंद्र की मनमोहन सरकार ने संसद में महिला आरक्षण बिल को पेश किया तो लालू प्रसाद यादव ने इस सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया था. दरअसल मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल यानि 2004 से 2009 तक लालू यादव उस सरकार में मंत्री थे. 2009 के चुनाव में उन्हें बेहद कम सीटें आयी तो वे मंत्री नहीं बन सके थे. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे. 2010 में महिला आरक्षण बिल पर लालू यादव ने कहा था-“ये राजनैतिक डकैती है, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे इसलिए यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं.” महिला आरक्षण का मामला पिछले 27 सालों से लटका रहा. इस बिल को पास नहीं होने देने में लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव की तिकड़ी का सबसे बड़ा रोल रहा. 1998 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तो 13 जुलाई 1998 को उस सरकार में कानून मंत्री थंबी दुरई ने महिला आरक्षण बिल विधेयक पेश किया था. लोकसभा में तब राजद के सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से विधेयक छीन कर फाड़ दिया था. 13 जुलाई 1998 को लोकसभा में राजद और समाजवादी पार्टी के सांसदों ने भारी उत्पात मचाया था. सरकार बिल पास नहीं करा पायी.इसके बाद 1999 में फिर से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी. 1999 में ही तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने दो दफे महिला आरक्षण बिल को संसद में पेश करने की कोशिश की लेकिन लालू-मुलायम की जोड़ी के तीखे विरोध के कारण सफलता नहीं मिली. वाजपेयी सरकार ने 2003 में भी महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश करने की कोशिश की. लेकिन तब प्रश्नकाल के दौरान ही राजद औऱ समाजवादी पार्टी के सांसदों ने भारी उत्पात मचाया. लिहाजा सरकार बिल को पास कराने में सफल नहीं हो पायी. वैसे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 6 मई 2008 को भी संसद में महिला आरक्षण बिल पेश किया था. तत्कालीन कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज बिल पेश करने के लिए सदन में खडे हो रहे थे कि समाजवादी पार्टी के सांसद अबू आजमी आक्रामक तरीके से उनकी ओर हमला करने और विधेयक छीनने के लिए आगे बढ़े. इसी बीच रेणुका चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस की महिला सांसदों ने कानून मंत्री को घेर लिया और उन्हें सुरक्षा दिया. तब जाकर हंसराज भारद्वाज बिल पेश कर पाये. लेकिन बिल पास होने के बजाय उसे संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया. लेकिन महिला बिल पास कराने की सबसे पहले कोशिश 1996 में एच डी देवेगौड़ा की सरकार में हुई थी. उस समय भी लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव की तिकडी ने इस बिल का कडा विरोध किया. लेकिन उसी दौरान देवेगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गयी और बिल लटका रह गया.महिला बिल पर लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव का विरोध कितना ज्यादा था ये उनके बयानों से पता चलता है. लालू यादव कह रहे थे कि उनकी लाश पर बिल पास होगा. दूसरी ओर शरद यादव ने कहा था कि अगर महिला आरक्षण विधेयक पास हुआ तो वे जहर खा लेंगे. शरद यादव ने कहा था कि महिला आरक्षण मिला तो परकटी महिलायें सदन में पहुंच जायेंगी. जाहिर है लालू यादव और उनकी जमात ने 27 सालों तक महिला आरक्षण बिल को रोके रखा. लेकिन अब महिलाओं को आरक्षण का विधेयक पारित होने जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि इसमें नीतीश कुमार और कांग्रेस की बडी भूमिका है. 2010 में यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने वाले लालू यादव अब नीतीश कुमार की सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं ले रहे हैं. वे कांग्रेस से नाता क्यों नहीं तोड़ रहे हैं. सियासी जानकार इस सवाल का जवाब जानते हैं।
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Harrison
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