मोतिहारी न्यूज़: बिना भजन जीवन का क्लेश दूर नहीं होता. इसी का प्रमाण है कि सीता जी अशोक वाटिका में थीं, तो हनुमान जी ने सीता मैया को बिरही रूप में देखा, तब हनुमान जी ने मैया सीता को राम कथा सुनाना शुरू किया. उस समय सीता मैया का दुख दूर हो गया.
उसके बाद हनुमान जी जब प्रभु श्रीराम के पास आए तो प्रभु राम ने पूछा कि सीता जी कैसी हैं, तो हनुमान जी ने कहा विपत्ति का क्षण वो होता है, जिस समय मनुष्य जप तप, भजन, सुमिरन नहीं करता है, लेकिन सीता मैया दुखी नहीं हैं. वे जपतप में जुटी हैं. उक्त बातें वृदांवन की कथा वाचिका निहारिका दीदी ने भगवानपुर प्रखंड अंतर्गत शाह मियां रोहुआ पंचायत में आयोजित श्री श्री 1008 रूद्र महायज्ञ के पांचवें दिन प्रवचन के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपनी लीला में वध का आरंभ स्त्रत्त्ी से किया है. चूंकि स्त्रत्त्ी मनुष्य को जन्म दात्री है. इसलिए भगवान राम ने सबसे पहले तारिका का वध किया, क्योंकि तारुका ही असुरों को जन्म देती थी. आगे उन्होंने कहा कि वध दुष्टों का होता है और हत्या सज्जनों की होती है. हत्या का पाप लगता है, जबकि वध का कोई पाप नहीं लगता है. महायज्ञ को सफल बनाने में यज्ञ समिति के अध्यक्ष प्रमोद सिंह, पूर्व मुखिया विनय शाह, सदस्य रविन्द्र गिरी, शत्रुध्न सिंह समेत समस्त ग्रामीणों का सराहनीय सहयोग हो रहा है.