रोहतास: सरकार के नए निर्देश के बाद अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करने वाले सरपंचों की मनमानी अब नहीं चलेगी. सरकार ने स्पष्ट तौर पर उनके अधिकार, कर्तव्य व दायित्वों को बता दिया है.
इसके लिए डीएम को पत्र भी जारी किया गया है. पहले इनके मनमाने रवैये से कुछ प्रखंडों में विवाद इतने बढ़ गए थे कि न्याय करने की कुर्सी पर बैठे इन सरपंचों को खुद अदालतों का चक्कर लगाने होते थे. इसे देखते हुए सरकार के विशेष कार्य पदाधिकारी ने पत्र जारी कर उनकी अधिकार क्षेत्र की सीमा तय कर दी है. हालांकि अधिनियम में सारी बातें लिखी गई है. लेकिन, वे अधिनियम से इतर काम करते थे. कई सरपंच किसी भी मामले में हाथ डाल देते थे. अब नए निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि सरपंच छोटे विवादों का ही सौहार्दपूर्ण निपटारा करेंगे. छोटे मामलों में सुलह नहीं होने पर एक हजार तक अर्थदंड व सिविल मामलों में 10 हजार मूल्य की संपति में ही हाथ डाल सकेंगे. वंशावली भी नहीं जारी कर सकेंगे. हालांकि नए निर्देश के बाद सरपंच की कुर्सी को कमाई का जरिया बनाये कई सरपंचों में मायूसी देखने को मिल रही है.
सरकार के विशेष कार्य पदाधिकारी आलोक कुमार ने डीएम को भेजे पत्र में कहा है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 90 से धारा 120 तक में ग्राम कचहरी व उसके न्यायपीठों की स्थापना शक्तियां, कर्तव्य व प्रक्रिया के संबंध में प्रावधान हैं. ग्राम कचहरी का गठन मुख्य रूप से ग्राम पंचायत स्तर पर उठने वाले छोटे-मोटे विवादों का सौहार्दपूर्ण निपटारा करने के उद्देश्य से किया गया है. ग्राम कचहरी को भारतीय दंड संहिता 1860, पशु अतिचार अधिनियम 1871 व बंगाल लोक द्युत अधिनियम 1867 की धाराओं के अधीन किए गए अपराधों के विचारण का अधिकार है. समझौता नहीं होने की स्थिति में ग्राम कचहरी किसी फौजदारी मामले में आरोपित को अधिकतम 1000 रुपए तक का अर्थदंड लगा सकती है. दीवानी मामलों में उसे 10 हजार रुपए तक के मूल्य की संपत्ति से संबंधित विवादों को सुनने एवं डिक्री देने का अधिकार प्राप्त है. ग्राम कचहरी के कार्यों के संचालन हेतु बिहार ग्राम कचहरी संचालन नियमावली 2007 गठित है. बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 व बिहार ग्राम कचहरी संचालन नियमावली 2007 में फौजदारी और दीवानी मामलों को छोड़कर अन्य किसी तरह के कार्य करने की अधिकारिता ग्राम कचहरी या उसके सरपंच को नहीं सौंपी गई है.