बिहार

आरबीएसके के मदद से जिले के दो बच्चे जीवन में लगायेंगे नई दौर

Shantanu Roy
29 Sep 2022 6:05 PM GMT
आरबीएसके के मदद से जिले के दो बच्चे जीवन में लगायेंगे नई दौर
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किशनगंज। बच्चे का जन्म होते ही जो मां बाप उसे बुढ़ापे की लाठी समझकर सपने संजोने लगे हों, जब पता चले कि उन्हें खुद उसकी लाठी बनना पड़े तो उनके लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। ऐसा ही कुछ जिला के पोठिया प्रखंड के नीमला ग्राम के 04 वर्षीय अनस के पिता मो० आरिफ एवं ठाकुरगंज प्रखंड के राजा गाव के 14 माह की आर्यन कुमार के साथ हुआ लेकिन आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के तहत डाक्टरों ने जीवन भर रहने वाले इस दर्द को ठीक कर उनके चेहरों पर खुशी ला दी। दोनों क्लब फुट बीमारी से ग्रषित बच्चो के अभिभावक ने बताया कि बेटे के जन्म पर दोनो की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन जन्म के बाद से ही बच्चे का पैर मुड़ा हुआ था और समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। शुरुआत में इसे नजरअंदाज कर दिया। घर पर एक माह तक मालिश करने के बाद भी कोई परिवर्तन न होने पर उन्होंने शहर के कई डाक्टरों को दिखाया और हजारों रुपये खर्च कर दिए। डाक्टरों ने ऑपरेशन की बात कहकर उसे लंबा खर्चा बता दिया। जो समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। वही सही समय पर इसका ऑपरेशन नहीं करवाने की स्थिति में यह जिंदगी भर अपाहिज बना सकता है। जिसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डिस्ट्रिक्ट एर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) द्वारा इसे जेएलएनएमसीएच भागलपुर में भेजा गया जहां इनका सफल ऑपरेशन हुआ और अब यह बिलकुल ठीक हो गया है और स्वयं चल फिर, भाग दौर सकता है।
आरबीएसके जिला समान्यवक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि क्लब फुट, एक या दोनों पैरों को प्रभावित करने वाली जन्मजात विकृति है। आमतौर पर पैर के पंजे 90 डिग्री पर होते हैं। लेकिन रोग के कारण मुड़ाव आने से पैरों का आकार या स्थिति असामान्य हो जाती है। मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़कर रखने वाले ऊतक सामान्य से छोटे हो जाते हैं। इससे पैर टखने से अंदर मुड़ जाता है। दोनों स्वस्थ बच्चो की पूरी जांच और ऑपरेशन की प्रक्रिया आरबीएसके टीम द्वारा ही की गयी। वही जिले के 11 क्लब फुट रोग से ग्रषित बच्चे का इलाज जारी है। आरबीएसके जिला समान्यवक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि जिले में वर्तमान में आरबीएसके के तहत 30 रोगों का इलाज किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि दोनों बच्चो का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सफल इलाज किया गया है।इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। जिन्होंने दोनों बच्चो के समय पर इलाज के लिए स्क्रीनिंग का कार्य किया है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट, रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिसीज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है।
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