बिहार

14 नवंबर से करेंगे अतिपिछड़ा आरक्षण को लेकर आंदोलन की शुरुआत, सहनी का बड़ा एलान

Renuka Sahu
13 Oct 2022 2:58 AM GMT
Will start the movement for backward reservation from November 14, Sahnis big announcement
x

न्यूज़ क्रेडिट : firstbihar.com

बिहार में सत्ता से बाहर जाने के बाद अपना जनाधार बढ़ाने और संगठन को मजबूत करने में जुटे वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने एक बड़ा दांव खेला है मुकेश सहनी अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर बिहार में आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में सत्ता से बाहर जाने के बाद अपना जनाधार बढ़ाने और संगठन को मजबूत करने में जुटे वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने एक बड़ा दांव खेला है मुकेश सहनी अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर बिहार में आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। मुकेश सहनी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी 14 नवंबर से अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर आंदोलन की शुरुआत करेगी बिहार में प्रखंड स्तर पर इस आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

मुकेश सहनी ने कहा है कि 4 अक्टूबर 2022 को पटना उच्च न्यायलय में (CW) [12514/2022) सुनाया गया फैसला एक प्रकार से आरक्षण पर सुनाया गया परम्परागत फैसला है, जो अति पिछड़ा वर्ग को दी जा रही सम्पूर्ण आरक्षण (पूर्व/ वर्तमान / भविष्य: नगर निकाय और पंचायत चुनाव) पर प्रश्न चिह्न लगाता है। मुंगेरी लाल आयोग (1976) ने कहा है कि न्यायालय द्वारा आरक्षण के सवाल को हर-बार उलझाने की कोशिश की जाती रही है। बिहार में 1951 में ही '94' अति-पिछड़ा जातियों को अनुसूची-1 में शामिल किया गया था जो जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के समय 108 थी और वर्तमान में 127 जातियां हैं, जिनकी जनसंख्या में भागीदारी लगभग 33% है।
इस बार कोर्ट द्वारा नई संकल्पना 'ट्रिपल टेस्ट' और 'राजनीतिक पिछड़ापन' विकसित की गई है। जो प्रतिक्रियावादी विचार है। "न्यायायिक पिछड़ापन' पर भी देश में बहस होनी चाहिए। यह सर्वविदित है कि जनसंघ (भाजपा) शुरुआत से ही आरक्षण के खिलाफ रहा है और जब से केंद्र में भाजपा (2014) की सरकार आई है पिछड़ी जातियों एवं अनुसूचित जातियों के आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं। जनसंघ (भाजपा) ने अत्यंत पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री, जननायक कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री के पद से हटाया एवं उनके आरक्षण नीति का विरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट (रिट पिटिशन 980 / 2019) ने 4 मार्च 2021 के निर्णय में महाराष्ट्र के कुछ चिन्हित जिलों में नगर निकाय एवं पंचायत के चुनाव के सन्दर्भ में 'ट्रिपल टेस्ट' का सवाल उठाया था ना कि पूरे देश के संदर्भ में तिस, इस निर्णय के बाद गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में चुनाव संपन्न हुए। वहां पर कोर्ट द्वारा रोक नहीं लगाया गया क्योंकि वहां भाजपा की सरकार थी।
Next Story