बिहार

क्याअपना गढ़ बचा पाएंगे 'छोटे सरकार'?सोनम के समर्थन में सूरजभान तो अनंत सिंह की बढ़ सकती है मुश्किलें

HARRY
18 Oct 2022 8:25 AM GMT
क्याअपना गढ़ बचा पाएंगे छोटे सरकार?सोनम के समर्थन में सूरजभान तो अनंत सिंह की बढ़ सकती है मुश्किलें
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बिहार की राजनीति और बाहुबली का गहरा याराना है. पहले यहां बाहुबली नेताओं के लिए वोट जुटाते थे अब खुद बाहुबली ही माननीय बन रहे हैं. बिहार का मोकामा एक सटीक उदाहरण है जहां बाहुबली अनंत सिंह 2005 से ही लगातार चुनाव जीत रहे हैं. यहां अनंत सिंह का सिक्का चलता है. यही वजह है कि जब उन्हें लालू यादव हराना चाहते थे तो वह जेडीयू की टिकट पर जीतते हैं. जेडीयू ने उनका विरोध किया तो लालू यादव के साथ से वह विधानसभा पहुंच गए. 2015 में उनके खिलाफ बिहार के ये दोनों बड़े नेता हो गए थे. तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीत कर अपना दम दिखाया.

लेकिन इसबार अनंत सिंह के लिए सबकुछ इतना आसान नहीं है. अनंत सिंह को पिछले कई चुनाव से टक्कर दे रहे ललन सिंह इसबार ज्यादा बड़ी चुनौती देते नजर आ रहे हैं. इधर मोकामा का मुकाबला तब और दिलचस्प हो गया है जब इलाके के तीसरे बाहुबली सूरजभान सिंह ने दस्तक दे दी है.

महज दो हजार वोट से पीछे रह गए थे ललन सिंह

अनंत सिंह के सजायाफ्ता होने के बाद उनके परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र मोकामा में इस बार लड़ाई उतनी आसान नहीं दिख रही है. अनंत सिंह की विधानसभा सदस्यता रद होने के बाद इस सीट से उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी की टिकट पर मैदान में है. सामने चिरपरिचित प्रतिद्वंधी ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी है. वह ललन सिंह जो एकबार उनसे महज दो हजार वोटो से पीछे रह गए थे.

अंनत सिंह को सोनम ने दी थी कड़ी टक्कर

2010 के विधानसभा चुनाव में सोनम देवी सीधे अनंत सिंह के मुकाबले में खड़ी थीं. इस चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह को 51560, जबकि लोजपा उम्मीदवार सोनम देवी को 42610 मत मिले था. तब सूरजभान के छोटे भाई कन्हैया कुमार भी चुनाव लड़ रहे थे. इसके चलते ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी कम मतों के अंतर से हार गई थीं. इसबार कन्हैया कुमार मैदान में नहीं है. इसलिए इसबार की लड़ाई इलाके के तीसरे बाहुबली सूरजभान सिंह की वजह से दिलचस्प होने की उम्मीद है.

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