बिहार

लालू प्रसाद यादव के आह्वान पर बना महागठबंधन की 'महाटूट' के पीछे किसका हाथ?

Gulabi
23 Oct 2021 9:46 AM GMT
लालू प्रसाद यादव के आह्वान पर बना महागठबंधन की महाटूट के पीछे किसका हाथ?
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महागठबंधन की 'महाटूट' के पीछे किसका हाथ?

बिहार में बीजेपी को परास्त करने के लिए लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के आह्वान पर बना महागठबंधन (Mahagathbandhan) धीरे-धीरे बिखर गया. कभी महागठबंधन में हम के जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi) शामिल थे. उपेन्द्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha) की रालोसपा और मुकेश सहनी की वीआईपी (VIP of Mulesh Sahni) भी इसे ताकत देते थे. लेकिन, इन तीनों पार्टियों के बाद अब राजद की बड़ी सहयोगी पार्टी कांग्रेस (Congress) ने भी महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया. सवाल यह है कि महागठबंधन की महाटूट के पीछे की वजह क्या है? क्या इससे अलग होने वाली पार्टियों की अति राजनीतिक महत्वाकांक्षा मुख्य वजह रही या फिर महागठबंधन की सबसे बड़ी और सबसे मजबूत माने जाने वाली पार्टी राष्ट्रीय दल जनता दल का मनमाना व्यवहार इस टूट की मुख्य वजह बनी?


पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के पहले सबसे पहले जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया. बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले जीतन राम मांझी लगातार महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी के गठन की मांग करते रहे थे. लेकिन, उनकी मांग को राजद या फिर तेजस्वी यादव ने कोई तवज्जो नहीं दी. आखिरकार अगस्त 2020 में जीतन राम मांझी की पार्टी ने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया. महागठबंधन को लगने वाला यह पहला बड़ा झटका था.
मांझी के बाद कुशवाहा ने छोड़ा साथ
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले ही उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा पार्टी ने भी महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया. उपेंद्र कुशवाहा बिहार विधानसभा गांव में पार्टी के लिए सम्मानजनक सीट चाहते थे. लेकिन राजद ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया. आखिरकार रालोसपा ने महागठबंधन से अलग होकर थर्ड फ्रंट के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. 24 सितंबर 2020 को रालोसपा महागठबंधन से अलग हो गई. उपेंद्र कुशवाहा ने यह शर्त रख दी थी कि अगर महागठबंधन अपने नेतृत्व में परिवर्तन कर दें तब रालोसपा फिर से महागठबंधन का हिस्सा बन सकती है.
मुकेश सहनी ने तेजस्वी के सामने छोड़ा महागठबंधन
अक्टूबर 2020 की 17 तारीख को मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी तीसरी ऐसी पार्टी थी जो बड़े ही नाटकीय ढंग से महागठबंधन से अलग हुई. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के साथ अपनी सीटों की शेयरिंग का ऐलान तो कर दिया, लेकिन वीआईपी को लेकर उन्होंने मौन धारण किए रखा. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुकेश साहनी ने महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी. मुकेश साहनी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव ने उनके साथ छल किया है.
कांग्रेस को कमतर आंकते रहे राजद के नेता
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद और वामदलों के साथ मिलकर महागठबंधन के घटक दल के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन 70 सीट मिलने के बावजूद कांग्रेस 19 सीटों पर सिमट कर रह गई. ऊपरी तौर पर महागठबंधन बंधन में एकता बनी रही, लेकिन कांग्रेस के परफॉर्मेंस को लेकर राजद नेता अंदर ही अंदर नाराज थे. आखिरकार यह नाराजगी 2021 के बिहार विधानसभा उपचुनाव के दौरान खुलकर सामने आई जब तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट के लिए राजद ने दोनों जगहों पर अपने प्रत्याशियों को खड़ा कर दिया.
क्या फिर एक हो पाएगा बिखर रहा महागठबंधन ?
कांग्रेस कुशेश्वरस्थान की सीट को अपनी पारंपरिक सीट बताती रही, लेकिन बात बनी नहीं. आखिरकार कांग्रेस ने भी दोनों विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया. धीरे-धीरे कांग्रेस और राजद के बीच राजनीतिक रिश्तों में तल्खी आती गई और एक ऐसा भी वक्त आया जब कांग्रेस ने खुद को महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी. इस तरह महागठबंधन का कुनबा धीरे-धीरे बिखरता चला गया.

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