बिहार

जहां थे चपरासी वहीं बने असिस्टेंट प्रोफेसर, रात में ड्यूटी और दिन में होती थी पढ़ाई

Rounak Dey
13 Oct 2022 10:33 AM GMT
जहां थे चपरासी वहीं बने असिस्टेंट प्रोफेसर, रात में ड्यूटी और दिन में होती थी पढ़ाई
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भागलपुर के कमल किशोर ने कमाल कर दिया है। कमल ने पहले तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नाइट गार्ड की नौकरी की, फिर चपरासी बने और अब असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए उनका चयनित किया गया है। कमल किशोर ने वर्ष 2003 में तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नाइट गार्ड की नौकरी की। इस दौरान उसने इसी यूनिवर्सिटी से अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी की, पीएचडी किया। कमल ने बताया कि उसने प्रोफेसर संजय जयसवाल के अंदर रिसर्च किया, जो मारवाड़ी कॉलेज के प्रोफेसर थे। कमल कहते हैं कि संजय सर ने ही मुझे ये मुकाम हासिल करने का हौसला दिया। उन्होंने मुझे कहा कि तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है,


लेकिन पाने को बहुत कुछ है। तुम बस मेहनत करो मंजिल जरूर मिलेगी। कमल ने आगे बताया कि उन्होंने 2007 से 2009 के बीच पीजी की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद 2013 में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया और 2019 में अवार्ड हुआ, वहीं 2018 में मैने नेट क्वालीफाई किया था। वहीं अब असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर जारी हुई रिक्त सीटों के लिए आवेदन दिया, जिसके बाद योग्यता के आधार पर आयोग ने उनका चयन अंबेडकर विचार के असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए किया है।

कमल किशोर के चयनित के होने के बाद फिलहाल ज्वाइनिंग में मामला फंस गया है। ज्वाइनिंग से पहले इंट्रेक्शन के दौरान यह सवाल सामने आने लगा कि आखिर कमल किशोर ने ड्यूटी के दौरान पढ़ाई कैसे की। इसके लिए वीसी प्रो. जवाहर लाल ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई थी। कमिटी ने मंगलवार को ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी। सूत्रों की माने तो कमिटी ने कमल किशोर को क्लीन चिट दे दिया है। इस दौरान कमल की सराहना भी हुई है। जांच में कमल ने कमिटी को बताया था कि वो नाईट शिफ्ट में ड्यूटी करने के बाद दिन में पढ़ाई करता था। कमल का कहना है कि उसने उस वक्त यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के लिए अनुमति भी लिया था। कमेटी ने इसी आधार पर उसेआरोप मुक्त करने की बात कही है। अब संभवत कुछ ही दिनों में कमल किशोर मंडल को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर बहाल कर दिया जाएगा।

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