न्यूज़क्रेडिट: newsnationtv
दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सड़को पर वाहन को कम करने के लिए ऑड इवेन नियम लागू किये थे. उसी तर्ज पर छपरा के ऐसे सरकारी विद्यालय में वर्ग रूम की कमी के कारण नवसृजित वर्ग के बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है तो मध्य वर्ग के बच्चों को स्कूल के कमरों में बिठाकर, जबकि उच्च वर्ग के बच्चों को ऑड इवेन तरीके से शिक्षा दी जाती है. जी हम बात कर रहे हैं, छपरा जिले के बनियापुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय हिंदी सह उच्च माध्यमिक विधालय सतुआ की. जहां शिक्षक अपने तरीके से बच्चों को अलग-अलग जगहों पर बिठाकर उन्हें पढ़ाते हैं. कारण की इस अपग्रेडेड विद्यालय में मात्र 6 कमरे है, जिसमें एक कमरे स्टोर और प्रधानाध्यपक का कार्यालय है जबकि पांच कमरों में पांचवीं से लेकर दसवीं तक के छात्र-छात्रा पढ़ते हैं.
गर्मी की रफ्तार सुबह से तेज हो जाती है, उस स्थिति में यहां के छोटे-छोटे बच्चे जो वर्ग पांच तक के छात्र हैं. उन्हें विद्यालय परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है, जबकि मौसम बिगड़ने के साथ ही बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है.
9-10वीं के छात्र-छात्राओं पर ऑड इवेन लागू
भीड़ भाड़ अथवा अन्य किसी कारणों से प्रतिबंध लगाने के लिये सरकार ऑड इवेन लागू करती है, लेकिन इस विद्यालय में भवन नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं पर यहां के शिक्षकों ने ऑड इवेन लागू कर दिया है. जिससे नामांकन रजिस्टर के अनुसार एक दिन ऑड संख्या वाले छात्र-छात्रा पढ़ाई के लिए आते हैं तो दूसरे दिन इवेन नंबर वाले छात्र-छात्रा, यदि इसी तरह ऑड इवेन से पढ़ाई होती रही तो इन छात्र छात्राओं के भविष्य पर कितना प्रभाव पड़ेगा, ये सोचनीय है. ऑड इवेन लागू के बाद भी इस विद्यालय में नौंवी और दसवीं के छात्रों को पढ़ाना शिक्षक के लिये किसी चुनौती से कम नहीं है. कारण की उच्च विद्यालय के 300 छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिये मात्र एक शिक्षक परवेज आलम है, जो यहां प्रतिनियोजन में है.
इस विद्यालय में तकरीबन 900 की संख्या में छात्र-छात्रा है, जिसमें वर्ग एक से लेकर पांच तक 300 छात्र-छात्रा हैं, जो परिसर में पेड़ के नीचे पढ़ते हैं जबकि वर्ग पांच से आठ तक 300 , जबकि नौंवी और दसवीं में 300 छात्र-छात्रा है, इन नौ सौ बच्चों को पढ़ाने के लिये इस विद्यालय में मात्र पांच कमरे का भवन है. यहां के शिक्षकों का कहना है कि किसी तरह अपने हिसाब से यहाँ बच्चो को अलग-अलग बिठाकर पढ़ाया जाता है.
विद्यालय में भवन की जरूरत है, जिसके लिये कई बार वरीय पदाधिकारी सहित विभाग को लिखा गया है, लेकिन आज तक इस पर ध्यान नही दिया गया. जिस वजह से कुछ छात्र-छात्राओं को स्कूल भवन में तो कुछ छात्रों को पेड़ के नीचे और कुछ छात्र-छात्राओं को ऑड इवेन तरीके से पढ़ाया जाता है, यदि भवनों का निर्माण जल्द हो जाये तो सभी समस्याओं का समाधान भी हो जायेगा और सबको निरंतर स्कूल में शिक्षा मिल सकती है.
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