नालंदा न्यूज़: नालंदा के आलू से चिप्स बनना है. बिहार के साथ देश स्तर पर इसकी ब्रांडिंग होनी है. बिहारशरीफ के सोहडीह में पैक हाउस डेढ़ साल पहले ही बन चुका है. मशीनें लगाकर मार्च तक उत्पादन शुरू करने का दावा किया गया था. विडंबना यह हो चुकी है. लेकिन, अबतक मशीनें लगाने की योजना फाइलों में धूल फांक रही है. ऑटोमेटिक मशीन से चिप्स बनाने की उम्मीदें पाले किसानों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.
राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम के तहत विशेष फसल खेती के लिए सूबे के 10 जिलों का चयन किया गया है. इसमें नालंदा का आलू भी शामिल है. पैक हाउस बनाने और मशीने खरीदने के लिए 90 फीसद अनुदान सरकार को देनी है. आलू से चिप्स तैयार करना है. पिछले साल दिसंबर में प्रोसेसिंग, ग्रेडिंग, मेकिंग और पैकेजिंग मशीनें लगाने के लिए टेंडर निकाला गया था. एजेंसी का चयन भी कर लिया गया था. लेकिन, योजना में देर होने के कारण मशीन लगाने की लागत बढ़ी तो एजेंसी ने और राशि की मांग कर दी. फाइल वित्त विभाग को भेजा गया. परंतु, स्वीकृति नहीं मिली. तकनीकी पेच फंसा तो कंपनी का चयन होने के बाद भी मशीनें लगाने की रणनीति फेल हो गयी.
फंसी पूंजी, हर साल 40 हजार लग रहा किरायाआलू का उत्पादन और चिप्स तैयार करने के लिए बिहारशरीफ, नूरसराय व रहुई प्रखंडों के 86 किसानों का समूह बनाया गया है. नाम रखा गया है ‘बिहारशरीफ फॉमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’. समूह के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार कहते हैं कि सोहडीह में लीज पर 14 कट्ठा जमीन लेकर और पूंजी लगाकर किसानों ने पैक हाउस का निर्माण कराया है. करीब 13 लाख 26 हजार रुपया खर्च हुआ है. हद तो यह कि लीज पर ली गयी जमीन का हर साल 40 हजार रुपया का किराया देना पड़ रहा है. मशीन कब लगेगी और उत्पादन कब से शुरू होगा यह कोई बताने वाला नहीं है.
खेती के लिए 3.78 लाख इनपुट खास यह कि चिप्स बनाने के लिए परंपरागत नहीं, वैज्ञानिक तरीके से किसानों को आलू की खेती करनी है. ताकि, प्रोडक्ट तैयार करने में किसी तरह की परेशान न उठाना पड़े. उन्नत खेती में पूंजी की किल्लत न उठाना पड़े, इसके लिए दो साल में दो बार इनपुट अनुदान दिया गया था. इसबार किसानों को तीन लाख 78 हजार अनुदान दिया जा चुका है. किसानों का कहना है कि वे वैज्ञानिक तरीके से खेती भी कर रहे हैं. लेकिन, चिप्स कब से तैयार किया जाएगा यह पता नहीं है.
● विशेष फसल योजना में नालंदा के आलू का हुआ है चयन
पांच साल की योजना तीन साल निकल गया
तीन प्रखंडों को मिलाकर 50 हेक्टेयर का कलस्टर बनाया गया है. पांच साल की योजना से किसानों के लिए आर्थिक तरक्की के रास्ते खोलने के दावे किये गये थे. तीन साल निकल चुका है. सिर्फ पैक हाउस ही बन पाया है. आलू को रखने के लिए 15 दिन पहले 500 प्लास्टि कैरेट भी दिये गये हैं. किसानों का कहना है कि जबतक मशीनें नहीं लगती हैं, तबतक उत्पादन शुरू करने की उम्मीद लगाना बेईमानी है.
लगनी हैं ये मशीनें:
1. पोटैटो वाशिंग मशीन 2. ग्रेडिंग मशीन 3. पीयर मशीन 4. चिप्स कटर 5. चिप्स फ्राइयर 6. वर्नर 7. ब्यॉल डायर 8. फ्राइयर 9. फ्लेवर कोटिंग 10. ऑटोमेटिंग चिप्स पैकेजिंग व अन्य मशीनें.
पैक्स हाउस में मशीनें लगाने के लिए कृषि निदेशक के स्तर से प्रक्रिया चल रही है. दर का निर्धारण किया जा रहा है. पूरी उम्मीद है कि जल्द ही फिर से टेंडर निकालेगा. एजेंसी चयन होते ही मशीनें लगाकर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा.
डा अभय कुमार गौरव, जिला उद्यान पदाधिकारी