नालंदा न्यूज़: दो साल पहले बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारा गया था. गिरियक प्रखंड के धामर गांव के पास पंचाने नदी में 20 डीप बोरिंग कर पाइन लाइन के सहारे सिलाव के शहरी क्षेत्र के अलावा राजगीर व सिलाव की नौ पंचायत के 38 गांवों को पानी की आपूर्ति शुरू की गयी थी.
ये ऐसे गांव हैं, जहां पानी में फ्लोराइड की अधिकता पायी गयी थी. भले ही यह योजना इन गांवों के वाशिंदों को राहत दी है. लेकिन, धामर, चंडीमौ व इसके आसपास के 10 से ज्यादा गांवों के लिए मुसीबत बन गयी है. हर साल गर्मी में जलसंकट की विकराल समस्या बनती है. पानी के लिए त्राहिमाम मचता है. बावजूद, प्रभावित लोगों की पीड़ा कोई सुनने वाला नहीं है. चंडी-मौ के सुबोध कुमार, बाल्मीकि सिंह, किशोरी प्रसाद सिंह, बलराम सिंह, बिंडीडीह के विजय शर्मा, मोहन सिंह, कदमरतर के मुरारी सिंह व अन्य कहते हैं कि पहले पानी का संकट नहीं होता था. परंतु, जब से धामर के पास जलापूर्ति योजना लगायी गयी है, तब से गर्मी में पानी के लिए हौय-तौबा नियमित बन गयी है. प्रभावित गांवों के लोगों का कहना है कि नदी में बोरिंग की गयी. 20 और 25 एचपी के मोटर लगाये गये हैं. निरंतर धरती से पानी खींच, आपूर्ति सिलाव व राजगीर के इलाकें में की जाती है. समस्या यह कि जलस्तर में तेजी से गिरावट हो रही है और आसपास के गांवों में कम गहरायी वाली बोरिंग व हैंडपम्प धड़ाधड़ फेल हो रहे हैं. जलसंकट की समस्या पिछले साल भी आयी थी. लेकिन, इसबार असमय तापमान में बेतहाशा वृद्धि हुई तो समस्या भी गंभीर हो गयी है. मोटर चलाने के बाद भी घरों में लगी बोरिंग से पानी नहीं निकल रहा है. प्रभावित गांवों के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं.
आश्वासन मिला पर पानी नहीं जब योजना धरातल पर उतारी जा रही थी तो चंडीमौ, धामर व आसपास के लोगों ने विरोध किया गया था. उस वक्त अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया था कि राजगीर व सिलाव के अलावा आसपास के गांवों के लोगों को भी पाइप लाइन के जरिये पानी की आपूर्ति की जाएगी. जल संकट की समस्या नहीं होगी. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने आश्वासन तो दिया. लेकिन, पानी नहीं. विडंबना यह कि दूसरों की प्यास बुझ रही है और खुद ही प्यासे हैं.
डीप बोरिंग कराना सभी के लिए संभव नहीं लोगों का कहना है कि धरती के नीचे घटते जलस्तर के कारण त्राहिमाम मचा हुआ है. लोग पानी के पानी-पानी हो रहे हैं. परेशानी यह कि गांवों में ज्यादातर कम आय वाले लोग रहते हैं. डीप (300 फीट) बोरिंग कराने में खर्च ज्यादा होता है. चाहकर भी सभी लोग नहीं करा पाते हैं. नल-जल से पानी मिलता जरूर है. लेकिन, इसकी स्थिति भी ठीक नहीं है. कभी पाइप में लीकेज तो कभी मोटर खराब की समस्या आम हो गयी है.