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मोतिहारी। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र,हर जगह लोग मच्छरों के पनपने एवं काटने से परेशान हो जाते हैं। क्योंकि मच्छरों के काटने के कारण डेंगू और मलेरिया जैसे रोग के होने का खतरा बढ़ने लगता है। जिले सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि बरसात के मौसम में जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है। जिससे मलेरिया और डेंगू के मरीजों के बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग लोगों को मच्छरों से बचाव करने और सचेत रहने की सलाह दे रहा है। ताकि, लोग जागरूक हों। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया आदि प्रमुख हैं। मच्छरों के काटने से सबसे अधिक मामले मलेरिया और डेंगू के ही आते हैं। जिला वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि मलेरिया बुखार जो प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। इसमें कंपकपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता और कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर भी जाता है, लेकिन निश्चित अंतराल पर आते-जाते रहता है। उन्होंने बताया कि फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार होता है, जो दिमाग पर भी चढ़ जाता। इस दौरान फेफड़े में सूजन हो जाती है।
पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है। जिसमें खून की कमी हो जाती है।मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। वहीं, आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर मलेरिया के संभावित मरीजों की आरडीटी किट से जांच कर रही हैं। प्रति जांच उन्हें 15 रुपये की राशि देने की भी व्यवस्था है। साथ ही, मरीज मिलने पर उसका इलाज कराने पर 75 रुपये प्रति मरीज अलग से दिए जाने की व्यवस्था है।सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि मलेरिया, डेंगू या अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ- सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर सतर्कता जरूरी है। मॉल व दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टनों में पानी जमा नहीं होने दें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।
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