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बिहार | शहर के विभिन्न इलाके में कचरे की ढेर पर पॉलीथिन पाये जाने के कारण पर्यावरण के साथ-साथ मानव एवं मवेशियों के लिए जहर बनता जा रहा है. प्रतिबंध के बावजूद इसका खुलेआम उपयोग किया जा रहा है. शहरी क्षेत्रों में आवारा घूम रहे मवेशी कचारा प्वाइंट पर पॉलीथिन एवं वन टाइम यूज प्लास्टिक के प्लेटों पर लगे खाद्य पदार्थों की वजह से उसे चबा कर निगल रहे हैं.
इसमें अधिकांश गायें शामिल हैं. गायों के लगातार पॉलीथिन निगलने से उसके खतरनाक केमिकल उसे हानि पहुंच रहे हैं. जिससे क्षेत्र में पशु मृत्यु दर दिन ब दिन बढता जा रहा है. वहीं, इससे गायों में दूध देने की क्षमता भी घट रही है. जिसका प्रभाव दूध के व्यापार पर भी पड रहा है. दरअसल पॉलीथिन में खतरनाक केमिकल पॉली इथेनॉल के साथ ही पारीफेनाइल फलोराइड भी पाया जाता है. जिससे इसे जमीन में दफन करने के बाद भी डिकंपोज्ड नहीं किया जा सकात है. यही वजह है कि मवेशियों के पेट में ना तो इसका पाचन हो पाता है और न ही वह गोबर के जरिये बाहर ही निकल पाता है. साथ ही दूध देने की भी क्षमता कम हो जाती है.
नहीं हो पाता पाचन
कटिहार के डीएचओ डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि पॉलीथिन गायों के पेट में बने ओमेजन एवं एमोनेजन स्ट्रक्चर में फंस जाते हैं. जिससे इसका गोबर के साथ निकलना मुश्किल है. वहीं इसमें पॉलिमन ऑफ इथिनल केमिकल होने की वजह से इसका पाचन भी नहीं हो पाता है.
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Harrison
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