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पटना, (आईएएनएस)| बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की कुरहानी विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मैदान में उतरने के बाद नया मोड़ आ गया है। इस सीट पर मुख्य दावेदार जद-यू के मनोज कुशवाहा और भाजपा के केदार गुप्ता हैं। साहनी ने चुनाव को त्रिकोणीय बनाने या 'वोट कटवा' बनने के लिए एक उच्च जाति (भूमिहार) के उम्मीदवार नीलाभ कुमार को टिकट दिया है।
वीआईपी के प्रदेश अध्यक्ष बालगोविंद बिंद ने मंगलवार को नीलाभ कुमार के नाम की घोषणा की।
नीलाभ कुमार का चयन सहनी द्वारा बदला लेने के लिए भाजपा के पारंपरिक उच्च जाति के मतदाताओं के वोट बैंक को काटने के लिए एक सामरिक चाल लगती है।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में वीआईपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। सहनी के चार विधायकों में से एक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद उन्होंने भाजपा से बोचहां सीट वीआईपी को देने या उनके बेटे अमर पासवान को टिकट देने को कहा था, मगर इनकार कर दिया गया। राजद तुरंत उपचुनाव में अमर पासवान को मैदान में उतारने के लिए तैयार हो गया और वह जीत गया।
भाजपा ने वीआईपी के बाकी तीन विधायकों को भी पार्टी में शामिल कर सहनी को झटका दिया था। सहनी ने उसी समय कहा था कि वह बदला लेंगे।
कुरहानी में भूमिहार समुदाय, जो पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थन करने के लिए जाना जाता है, के लगभग 40,000 मतदाता हैं। इसके अलावा, सहनी (मछुआरा) समुदाय के पास भी 30,000 से अधिक वोट हैं। अपने समुदाय में अच्छी पकड़ रखने वाले सहनी ने अपना उम्मीदवार उतारकर भूमिहार वोट काटने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में हुए मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में भूमिहार समुदाय ने बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को वोट दिया था। गोपालगंज में राजद उम्मीदवार मोहन गुप्ता के लिए हार का अंतर भी 1,794 वोट था, जिसमें एआईएमआईएम और बसपा उम्मीदवारों ने मुस्लिम-यादव वोट काट लिए थे। लिहाजा, यहां सहनी की एंट्री दिलचस्प है।
इस बीच, कुरहानी में एआईएमआईएम ने जदयू की सहयोगी राजद के वोट काटने के लिए शायद एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है।
वीआईपी और एआईएमआईएम जैसी छोटी पार्टियों की भूमिका दिलचस्प हो गई है, क्योंकि वे भले ही खुद सीट न जीत पाएं, लेकिन अन्य बड़ी पार्टियों के लिए सिरदर्द पैदा कर देती हैं।
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