बिहार

फीस वापसी नियम का किया उल्लंघन तो रद्द होगी मान्यता, यूजीसी ने ,नियम का सख्ती से पालन करें राज्य

Tara Tandi
4 Sep 2023 9:02 AM GMT
फीस वापसी नियम का किया उल्लंघन तो रद्द होगी मान्यता, यूजीसी ने ,नियम का सख्ती से पालन करें राज्य
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यदि कोई विश्वविद्यालय, काॅलेज और उच्च शिक्षण संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के फीस वापसी नियमों का पालन नहीं करता है तो उसकी मान्यता तक रद्द हो सकती है। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और राज्यों को इस संबंध में पत्र लिखकर यूजीसी के 2018 के फीस वापसी के नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है।
यूजीसी सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी की ओर से सभी राज्यों के शिक्षा सचिव और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 में भी यूजीसी 2018 को जारी फीस और सर्टिफिकेट वापसी का नियम लागू होगा। ऐसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की मान्यता रद्द, सभी प्रकार की ग्रांट रोकने से लेकर राज्य सरकारों को ऐसे संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
फीस वापसी के लिए पांच स्लैब बनाए गए हैं। नियम के तहत दाखिले की औपचारिक घोषणा के 15 दिन के भीतर सीट छोड़ने पर 100 फीसदी, अंतिम तिथि से 15 दिन पहले सीट छोड़ने पर 90 फीसदी, इसके 15 दिन बाद 80 फीसदी और 30 दिन या उससे दाखिले की अधिूसचित अंतिम तिथि से 15 दिन से अधिक होने पर 50 फीसदी और 30 दिन के बाद कोई फीस वापस नही का प्रावधान है।
संस्थानों को सर्टिफिकेट वापस करने के निर्देश : यूजीसी और एआईसीटीई ने सभी इंजीनियरिंग, मेडिकल, आर्किटेक्चर, फॉर्मेसी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों समेत अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को ओरिजनल सर्टिफिकेट की जांच के तुरंत बाद वापस करने का निर्देश दिया है। कॉलेज चाहें तो रिकार्ड के लिए सर्टिफिकेट या अन्य दस्तावेज की फोटो कॉपी रख सकते है। संस्थान किसी भी छात्र के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट, माइग्रेशन समेत अन्य दस्तावेजों को रिकार्ड में रखने के नाम पर वापस नहीं करते हैं। इसके कारण वे चाहकर भी दूसरी जगह दाखिला नहीं ले पाते हैं।
कार्रवाई में यह है प्रावधान
यूजीसी ने नियमों का पालन न करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों के खिलाफ आठ तरह की सख्त कार्रवाई का फैसला लिया है। इसमें फीस वापसी के नियम का पालन न करने पर यूजीसी से मिलने वाली सभी प्रकार की ग्रांट रोक दी जाएगी।आयोग किसी भी तरह का कोई नया प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति नही देगा। ऐसे कॉलेेजों की मान्यता रद्द करने से लेकर, यदि कोई उच्च शिक्षण संस्थान डीम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी होगी तो उससे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा वापस ले लिया जाएगा। स्टेट यूनिवर्सिटी होने पर संबंधित राज्य सरकार से स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई को लिखा जाएगा।
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