नालंदा: पूर्वोत्तर भारत का सबसे बेहतर अस्पताल का तमगा पावापुरी मेडिकल कॉलेज(विम्स) को मिला हुआ है. लेकिन, अव्यवस्था का आलम यह है कि इलाजरत रोगियों के परिजनों को हाथ में स्लाइन लेकर घंटों खड़ा रहना पड़ता है. तब, उनके मरीजों का इलाज होता है. इमरजेंसी वार्ड में जमीन पर ही रोगियों को लेटाकर उनका इलाज किया जाता है. इतना ही नहीं, अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां-वहां कई स्थानों पर गंदा पानी जमा है.
बहुत उम्मीद से इलाज के लिए आए रोगियों को यहां की अव्यवस्था देख चिढ़ हो रही है. रोगियों की जान भगवान भरोसे है. कहने को यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल है. लेकिन, व्यवस्था इतनी कि लोगों को अपेक्षित फायदा नहीं मिल रहा है. नवादा से इलाज कराने आए चंद्रमोहन प्रसाद ने बताया कि अव्यवस्था देख मन उदास हो गया. बिना इलाज कराए ही वापस लौट रहे हैं. इससे बेहतर व्यवस्था तो नवादा सदर अस्पताल में है. शेखपुरा की मालती देवी, जन्मेजय पांडेय व अन्य ने बताया कि परिजनों का इलाज करवा लिया.
शौचालय में गेट तक नहीं अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर के इमरजेंसी वार्ड में गंदगी का अंबार है. वहीं, फ्लोर पर वाशरूम का पानी और भीगा कंबल वार्ड में यूं ही फेंका रहता है. वार्ड में कहने को शौचालय तो हैं, लेकिन किसी भी शौचालय में गेट नहीं है. इससे रोगियों व परिजनों को शौच आदि के लिए दूसरे वार्ड में जाना पड़ता है.
शिशु वार्ड के शौचालय में दो इंच गंदा पानी जमा है. ऐसे में किस तरह से इन बच्चों का इलाज होता होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.