ग्रामीण अब भी सरकारी एम्बुलेंस की जगह निजी पर ही हैं निर्भर
पटना न्यूज़: जिले के दूर दराज के गांवों में बसे लोग अब भी सरकारी एंबुलेंस की जगह प्राईवेट गाड़ियों पर ही निर्भर हैं.
किसी भी इमरजेंसी के दौरान प्राईवेट वाहनों से मरीजों को सरकारी अस्पताल तक पहुंचाया जाता है. सरकारी एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का आंकड़ा प्राईवेट वाहनों की तुलना में अभी काफी कम है. बताया गया है कि इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी है. किसी भी इमरजेंसी के दौरान यदि डॉयल 102 पर कॉल व्यस्त बता रहा होता है तो उस दशा में अस्पताल के अन्य नंबरों पर भी कॉल कर सरकारी एंबुलेंस की मदद ली जा सकती है. लेकिन, आमतौर पर लोग इन नंबरों पर कॉल नहीं करते हैं. प्राइवेट वाहनों से ही मरीज को लेकर अस्पताल पहुंच जाते हैं.
कंपनी का लक्ष्य प्रति एंबुलेंस 08 से 10 मरीजों की सेवा करना है बताया गया कि जिले के अस्पतालों में पीपीपी मोड पर एंबुलेंसों का संचालन कर रही कंपनी ने प्रतिदिन प्रति एंबुलेंस औसतन 08 से 10 मरीजों की सेवा का लक्ष्य रखा है. लेकिन कॉल कम आने के कारण प्रति एंबुलेंस औसतन 04 मरीजों की ही सेवा की जा पा रही है.
01 एबुलेंस के भरोसे हैं गुठनी प्रखंड की 12 लाख से अधिक जनताजिले में सबसे कम गुठनी पीएचसी में ही एंबुलेंस है.
2011 की जनगणना के अनुसार प्रखंड की आबादी 12 लाख 08 हजार 155 है और विभाग ने महज 01 एंबुलेंस उपलब्ध कराया है. इस एंबुलेंस का मुख्य कार्य गर्भवती को घर से लाना-पहुंचाना, पीएचसी से रेफर मरीज को सदर अस्पताल पहुंचाना और अन्य इमरजेंसी के दौरान मरीजों की मदद करना है. बताया गया कि आंदर में 02, रधुनाथपुर में 03, हुसैनगंज में 02, दरौली में 02, जीरादेई में 02, मैरवा में 02, नौतन में 02, बड़हरिया में 03, सिसवन में 02, हसनपुरा में 02, पचरूखी में 02, दरौंदा में 02, महाराजगंज पीएचसी में 02, अनुमंडलीय अस्पताल में 03, भगवानपुर में 03, बसंतपुर में 03 लकड़ी नबीगंज में 02, गोरेयाकोठी में 03 व सदर अस्पताल में कुल 07 एंबुलेंस संचालित किए जा रहे हैं.