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एक बार फिर से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी चीफ लालू यादव पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग औऱ निगरानी जाँच में शिक्षकों की संख्या में अंतर चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि शिक्षक बहाली फर्जीवाड़े जाँच में 15444 शिक्षकों की निगरानी द्वारा तलाश जारी है. उन्होंने निगरानी जांच में 15444 शिक्षकों का सर्टिफिकेट फर्जी मिला है. उन्होंने कहा कि निगरानी ब्यूरो द्वारा 8 साल से चल रही है फोल्डर खोजने की जाँच. विजय सिन्हा ने आगे कहा बड़े भाई-छोटे भाई हैं बिहार की ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के जिम्मेदार हैं.
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने निगरानी विभाग औऱ शिक्षा विभाग के नियोजित शिक्षकों के आंकड़े में भारी अंतर पर आश्चर्य प्रगट करते हुए कहा है कि यह चिंताजनक और नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े का नमूना है. विजय सिन्हा ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले कहा कि शिक्षक बहाली फर्जीवाड़े की जांच 8 साल से चल रहा है. निगरानी जाँच में फोल्डर नहीं मिलने वाले शिक्षकों की संख्या 73091 पाई गई जबकि शिक्षा विभाग द्वारा यह संख्या 57647 बताई जा रही है. इस अंतर के कारण शिक्षकों की बास्तविक संख्या का पता नहीं चल रहा है.
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बड़े भाई औऱ छोटे भाई के द्वारा ही पिछले 33 वर्षों से शिक्षा विभाग को चलाया जा रहा है. इनके नेतृत्व में ही शिक्षा विभाग में अराजकता औऱ वदहाली की स्थिति बनी है. इन्होंने मिलकर बिहार की बुनियादी शिक्षा औऱ अबसंरचना को ध्वस्त कर दिया. विजय सिन्हा ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में वर्ष 2006 से 2015 तक के नियोजित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और पुस्तकालय अध्यक्ष के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक अंक पत्रों औऱ प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है. आगामी 6 अक्टूबर को पुनः उच्च न्यायालय में सुनवाई निर्धारित है. विजय सिन्हा ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निगरानी जांच में 15444 शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं. निगरानी जांच व्यूरो इन्हें खोज रही है लेकिन ये नहीं मिल रहे हैं.
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इस विरोधाभास के कारण दो दिनों में जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है. अप्राप्त फ़ोल्डरों सहित अन्य सूचनाओं की माँग की गई है. निगरानी व्यूरो ने शिक्षक बहाली जांच में जिन अनियमितताओं को पकड़ा है उसमें विभागीय अधिकारियों और अभ्यर्थियों के बीच संलिप्तता की भी चर्चा है. निगरानी इस जांच को अंतिम रूप से पूरा कर इसके फलाफल से राज्य की जनता को भी अवगत कराए. साथ ही फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों को भी दंडित करें.
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