गया न्यूज़: नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने और निंदा प्रस्ताव वापस लेने की मांग को लेकर विधान परिषद में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. इस कारण पहली पाली नौ मिनट व दूसरी 20 मिनट ही चली. शोरशराबे के बीच ही जरूरी विधायी कार्य निबटाए गए. हालांकि, सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने निंदा प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने की नसीहत दी.
पहली पाली में विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे. राजद के सुनील सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने गुंडागर्दी शब्द का उल्लेख किया. जदयू के नीरज कुमार ने कहा कि जिन शब्दों का प्रयोग किया गया था, वह असंसदीय है. रामेश्वर महतो निंदा प्रस्ताव लाए थे. भाजपा के दिलीप जायसवाल ने कहा कि नारे सरकार के विरोध में लगाए गए. सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कोई सदस्य एक-दूसरे को अंगुली दिखाकर बात नहीं कर सकते.
सभापति और नेता प्रतिपक्ष में संवाद नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि सदन में पहले भी नारे लगते रहे हैं. सभापति ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि जो पहले हुआ है वह आगे भी हो. जो गलत है, वह गलत है. हो-हल्ला के बीच ही ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और खाद्य आपूर्ति मंत्री लेशी सिंह ने अपने विभाग का प्रतिवेदन पेश किया. इसके बाद कार्यवाही ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
दूसरी पाली शुरू होते ही सत्ता पक्ष ने फिर कार्रवाई की मांग की. भाजपा के नवल किशोर यादव ने कहा कि भूलवश कोई बात हुई है तो आसन स्वयं निर्णय लेने के लिए सक्षम है. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जिसने भूल की है, अगर वो खेद व्यक्त करें तो आसन उस पर उचित निर्णय ले सकता है. नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने नाराजगी जताई और कहा कि सम्राट चौधरी किसी से डरने वाला नहीं है. इस परभारी शोरगुल शुरू हो गया. तब सभापति देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि नवल किशोर यादव वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्होंने जिस प्रकार बातें रखी है उसे खेद व्यक्त किया जाना माना जा सकता है. पूर्व में जो भी होता रहा हो, आज से अब ऐसा न हो.
आइंदा इन सब से सदस्य बचें.