पटना: संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सोमवार को पार्टी से अलग होने और अपना नया राजनीतिक संगठन बनाने की घोषणा करने के लिए तैयार हैं। बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार की तेजस्वी यादव 2025 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे वाली घोषणा के बाद से उपेंद्र कुशवाहा उनसे नाराज और बीजेपी के साथ सहयोगी के रूप में दिख रहे हैं। वह जल्द ही जद (यू) एमएलसी का पद भी छोड़ सकते हैं। 2009 के बाद यह तीसरी बार होगा जब कुशवाहा ने जद (यू) छोड़ दिया।
कुशवाहा के फैसले पर टिकी सबकी निगाहें
63 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा 19-20 फरवरी के दौरान पटना में अपने समर्थकों का एक सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। इसमें वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पटना, नालंदा और भोजपुर जैसे जिलों सहित बिहार के विभिन्न हिस्सों से उनके गुट के कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं। 20 फरवरी सोमवार को इसका आखिरी दिन है। इस दिन ही कुशवाहा के बड़े राजनीतिक फैसले लेने की संभावना है। इस बैठक को लेकर प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
RLSP को पुनर्जीवित करने की संभावना कम
बिहार के एक प्रमुख ओबीसी नेता उपेंद्र कुशवाहा की आकांक्षा नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में उभरने की थे। पिछले साल अगस्त में राजद के साथ गठबंधन के बाद जद (यू) के भीतर अपने लिए बहुत कम जगह पाने के बाद कुशवाहा अपने लिए विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। कुशवाहा सोमवार को पार्टी से अलग होने और अपना नया संगठन बनाने की घोषणा करने के लिए तैयार हैं। इस बात की बहुत कम संभावना है कि कुशवाहा अपनी पूर्ववर्ती पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) को पुनर्जीवित कर सकते हैं। उन्होंने मार्च 2021 में अपनी पार्टी का जद (यू) में विलय कर दिया था।
नई पार्टी को जद (यू) जैसा ही नाम दे सकते हैं कुशवाहा
सूत्रों ने कहा कि कुशवाहा अपनी नई पार्टी को जद (यू) के समान नाम देने पर विचार कर रहे हैं जो समाजवादी विचारधारा को प्रदर्शित कर सके। नीतीश कुमार ने दो महीने पहले घोषणा की थी कि डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव 2025 के राज्य विधानसभा चुनावों में अपने महागठबंधन (ग्रैंड अलायंस) का नेतृत्व करेंगे। कुशवाहा तब से नीतीश कुमार पर खफा हैं और अपनी संभावनाओं को तलाश रहे हैं। कुशवाहा कई हफ्तों से आक्रामक रूप से नीतीश और जद (यू) के बाकी नेताओं को निशाना बना रहे हैं। वह अब राज्य की राजनीति में एक नए राजनीतिक समीकरण की मांग कर रहे हैं।