बिहार
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की प्रदर्शनी में दिख रहे गुमनाम नायक और मोदी सरकार के आठ साल
Shantanu Roy
17 Oct 2022 6:01 PM GMT

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बेगूसराय। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा बिहार के सिमरिया कल्पवास मेला परिसर में सोमवार से छह दिवसीय आजादी का अमृत महोत्सव फोटो प्रदर्शनी-सह-जागरूकता कार्यक्रम शुरू हो गया। पावन गंगा नदी के तट पर लगे प्रदर्शनी में देश को आजाद दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गढ़पुरा नमक सत्याग्रह स्थल, स्वतंत्रता सेनानियों को कविता के माध्यम से जोश जगाने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, देशभर के आजादी के गुमनाम नायकों के साथ-साथ बिहार के गुमनाम नायकों तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के आठ साल में किए गए सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण कार्यों को प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ ही जीविका के स्वयं सहायता समूह का भी स्टॉल लगाया गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आठ वर्ष में किए गए गरीब और किसान कल्याणकारी कार्यों की जानकारी देने के लिए एक जागरूकता रथ रवाना किया गया है, जो जिला भर में एलईडी स्क्रीन एवं पम्पलेट के माध्यम से लोगों को जागरुक करेगा। प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए विधायक कुंदन कुमार ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से नई पीढ़ी को यह याद रखने में सहूलियत मिलेगी कि कितनी कुर्बानियां देकर आजादी मिली है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है और देशभर में लोगों को मां भारती के वीर सपूतों द्वारा देश को आजाद कराने में दिए गए कुर्बानियों की जानकारी दी जा रही है। युवा पीढ़ी महापुरुषों के गुणों को आत्मसात करें तो देश के अच्छे भविष्य की कल्पना की जा सकती है। मां भारती के सपूतों ने देश के लिए क्या सोचकर कुर्बानी दी उसे याद करें। कुछ साल पहले तक चर्चा होती थी सरकार ने देश के लिए क्या किया, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही इसमें दो बदलाव कर दिए। उन्होंने मोटिवेट किया है कि हमारा कर्तव्य क्या है, देश के लिए क्या करना चाहिए। राजनीति का भी चेहरा बदल दिया, खुद को कभी प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक कहा, समाज के अंतिम पंक्ति पर बैठे लोगों के लिए क्या सेवा की जा सकती यह सिखाया। नरेन्द्र मोदी ने सोच बदली है, इस प्रदर्शनी से नई सोच और नई ऊर्जा मिलेगी।
विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने कहा कि पौराणिक कल्पवास स्थल सिमरिया सिर्फ कल्पवास स्थान और मोक्ष स्थली ही नहीं, यह उत्तर बिहार का हरिद्वार है। ऐसे जगहों पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना कार्यक्रम की महत्ता को प्रतिपादित करता है। सपूतों को याद करना, मोदी सरकार की उपलब्धि का प्रदर्शन करना मंत्रालय का शानदार सोच है। इसके माध्यम से धर्म, आस्था, संस्कृति और इतिहास को बढ़ावा दिया जा रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अपर महानिदेशक शैलेश कुमार मालवीय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि हमें आजादी कैसे मिली उसको याद रखना। स्वतंत्रता सेनानी को याद करें, जिन्हें इतिहास के पन्नों पर जगह नहीं मिली, जो गुमनाम हैं, उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि 75 वर्षों मे देश ने क्या खोया क्या पाया। प्रदर्शनी के प्रत्येक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आठ वर्षों में हुई उपलब्धि की जानकारी देने के साथ-साथ विभिन्न तरह की प्रतियोगिता भी आयोजित किया जाएगा। एनसीसी के कर्नल आशीष कुमार ने कहा कि आजादी किन कठिनाइयों को झेलकर मिली उसकी जानकारी हर किसी को जरूरी है, ताकि हम आजादी की कीमत समझ सकें और देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहें। आजादी को बचाने के लिए हर देशवासी और खासकर युवाओं को हमेशा तैयार रहना चाहिए। अभी हाल में रूसी-यूक्रेन के बीच हुए युद्ध में यूक्रेन के युवाओं ने देश के लिए लड़ाई लड़ी। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने समाज को आगे बढ़ाने के लिए एक्शन लिया है, नई पीढ़ी देखें और समझें, क्योंकि देश सेवा सर्वोपरि है। एनसीसी के कर्नल बी.एस. शेखावत ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का यह कार्यक्रम हर किसी को जागरूक करने वाला है। एनसीसी भागलपुर के सभी सात यूनिट ने इसके लिए हमेशा तत्पर रहेगी। कार्यक्रम को डीडीसी सुशांत कुमार ने भी संबोधित किया। संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी अमरेन्द्र मोहन तथा धन्यवाद ज्ञापन मुंगेर प्रभारी सुदर्शन कुमार झा ने किया। इस अवसर पर मंत्रालय के पटना कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा, डीपीआरओ भुवन कुमार, एडीएम प्रभाकर कुमार तथा मंत्रालय के तमाम अधिकारी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र के दौरान परमानंद मिश्र के नेतृत्व में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों में ना केवल बिहार और गंगा की गाथा दिखाई, बल्कि संस्कृति से भी रूबरू कराया।
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