बिहार

भागलपुर में प्रधानमंत्री मध्याह्न भोजन योजना के तहत हरा फल के नाम पर स्कूली बच्चों को पकड़ा रहे केला, विरोध कर रहा शिक्षक संघ

Renuka Sahu
16 July 2022 5:39 AM GMT
Under the Prime Ministers Mid-Day Meal Scheme in Bhagalpur, the school children are catching bananas in the name of green fruits, the teachers union is protesting.
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फाइल फोटो 

बिहार में सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना में घपला आम बात हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना में घपला आम बात हो गई है। स्कूलों में ज्यादा उपस्थिति दिखाकर या अन्य तरीकों से एमडीएम में चोरी के मामले बार बार सामने आते रहते हैं। ताजा मामला सरकारी स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण योजना से जुड़ा है। भागलपुर में इस योजना के तहत छात्रों को फल के नाम पर एक केला दिये जाने का मामला सामने आया है। इसके बाद प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ ने विरोध शुरू कर दिया है। संघ का कहना है कि पांच रुपये के फल की जगह एजेंसी खानापूर्ति कर रही है।

संघ ने कहा कि भागलपुर शहरी क्षेत्र में प्रारंभिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को शुक्रवार को विभाग द्वारा मौसमी फल दिया जाता है। इसके लिए निर्धारित पांच रुपये का फल देना है। लेकिन फल के नाम पर आये दिन मात्र दो रुपये का एक अदद हरा केला मध्याह्न भोजन आपूर्तिकर्ता एनजीओ द्वारा दिया जा रहा है।
इस संबंध में प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा बीते दिनों कई प्रयास किए गए लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। संघ जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रधानमंत्री पोषण योजना को स्मार पत्र सौंपे जाने और शिष्चमंडलीय वार्ता के बाद भी मध्याह्न भोजन आपूर्तिकर्ता एनजीओ की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं दिख रहा है। ज्ञात हो कि निदेशक, मध्याह्न भोजन द्वारा निर्गत आदेश में शुक्रवार को प्रारंभिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पांच रुपये मूल्य के मौसमी फल उपलब्ध कराए जाने का निर्देश जारी है। बावजूद इसके शहरी क्षेत्र के विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन आपूर्तिकर्ता एनजीओ द्वारा मात्र एक हरा केला उपलब्ध कराकर पोषण योजना की खानापूर्ति की जा रही हैं।
इस संबंध में प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. शेखर गुप्ता ने कहा कि शहरी क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को निर्धारित मेन्यू, गुणवत्ता और मात्रा में पोषण योजना उपलब्ध नहीं हो पाना खेदजनक है। बच्चों के अभिभावकों को इसमें आगे आना चाहिए ताकि सब मिलकर हालात में सुधार का प्रयास कर सकें।
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