बिहार

उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव सेमिनार में विद्वानों की मानदेय राशि घटाये जाने पर समिति सदस्यों में नाराजगी

Shantanu Roy
21 Oct 2022 6:25 PM GMT
उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव सेमिनार में विद्वानों की मानदेय राशि घटाये जाने पर समिति सदस्यों में नाराजगी
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सहरसा। आगामी चार पांच एवं छह नवंबर को महिषी में श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन के माध्यम से सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर देश के सात प्रख्यात विद्वानों को सेमिनार में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। सेमिनार की सफलता को लेकर शुक्रवार को सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में डॉक्टर ललितेश मिश्र, दिलीप कुमार चौधरी, अक्षय कुमार चौधरी,डॉ नंद किशोर चौधरी,डॉ आनंद दत्त झा एवं केशव चौधरी सहित अन्य मौजूद थे। प्रख्यात साहित्यकार डाॅ ललितेश मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार की घोषित नीति के तहत बिहार के विभिन्न धार्मिक आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व की स्थलों को उजागर करने के लिए महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2012 से तत्कालीन पर्यटन मंत्री अशोक कुमार सिंह द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी। इस योजना के अंतर्गत महिषी स्थित श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन नियमित किया जा रहा है। इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा 40 लाख की राशि आवंटित की गई है।
इस समारोह को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन कमेटी का गठन किया गया है।सेमिनार आयोजित कर स्मारिका प्रकाशन की समिति गठित की गई है। लेकिन समिति के सदस्यों ने जिला प्रशासन पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए इस कार्यक्रम से अपने आप को अलग रखने के लिए गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। डॉ मिश्र ने कहा कि समिति सदस्यों द्वारा सेमिनार में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से 7 विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। इन विद्वानों को आने जाने आवासन तथा मानदेय के रूप में ₹11000 देने की घोषणा की गई थी। उन्होंने बताया कि महोत्सव के अंतर्गत सबसे प्रमुख कार्यक्रम सेमिनार ही है। सेमिनार के अंतर्गत सभी आलेखों को स्मारिका प्रकाशित करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। जबकि इस कार्यक्रम में टेंट शामियाना एवं अन्य साज सजावट पर अधिक खर्च कर विद्वानों की राशि में कटौती करने की बात बताई जा रही है।जिस कारण आयोजन समिति सदस्यों में काफी आक्रोश है। सदस्यों ने बताया कि जिला प्रशासन अपनी मनमानी कर कार्यक्रम करती है तो हम लोग इस समिति से अलग होना ही मुनासिब समझ रहे हैं। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा साज सजावट एवं नाच गान पर खर्च को कम करते हुए धार्मिक अध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के सेमिनार में भाग लेने वाले विद्वानों को उचित आदर सम्मान देने की मांग की है।
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