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भागलपुर। बिहार इतिहास परिषद द्वारा गुरुवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय अंतर्गत तेज नारायण बनेली महाविद्यालय में दो दिवसीय अधिवेशन का आयोजन विश्वविद्यालय के बहुद्देशीय प्रशाल में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुल गीत से हुई। उसके बाद सभी मुख्य अतिथियों और विशिष्ट अतिथियों में शामिल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति सहित गणमान्य लोगों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ।
अधिवेशन में दिल्ली विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ प्रदेश के कई विश्वविद्यालय के इतिहासकार इस अधिवेशन में शामिल हुए हैं। सम्मेलन के दौरान इतिहास के चार आयामों को लेकर चर्चा की जाएगी। जिसमें वर्तमान बिहार के इतिहास, प्राचीन बिहार का इतिहास, मध्यकालीन बिहार का इतिहास और समकालीन बिहार का इतिहास शामिल है।
स्वागत भाषण में टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य सह पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ संजय कुमार चौधरी ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जवाहरलाल ने संबोधन में कई बिंदुओं पर चर्चा किया और विश्वविद्यालय को अपनी अलग पहचान दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा अगर हम एकजुट होकर काम करेंगे तो हर क्षेत्र में हमारा विश्वविद्यालय अव्वल रहेगा। कार्यक्रम के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर सीमा बाबा ने बिहार इतिहास परिषद के विषयों पर प्रकाश डाला। उसके बाद मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति श्यामा राय ने भी अपनी बातें रखी।
भागलपुर विधायक अजीत शर्मा ने अपने संबोधन में बिहार इतिहास परिषद के 10वें अधिवेशन में विश्वविद्यालय के इतिहास को समृद्ध बताते हुए विश्वविद्यालय को और ऊंचाई पर ले जाने की बात कही। उन्होंने कहा जहां तक मेरी क्षमता होगी मैं विश्वविद्यालय को साथ दूंगा। कार्यक्रम के दौरान कार्य विवरणिका एवं स्मारिका का विमोचन किया गया। उसके बाद तारीख के पन्नों पुस्तक का भी विमोचन हुआ। कार्यक्रम के अंत में बिहार इतिहास परिषद के सचिव प्रोफेसर दयानंद राय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करते हुए राष्ट्र गान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
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