बिहार

कल्पवास मेला सिमरिया में हर ओर बह रही है धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की त्रिवेणी

Shantanu Roy
11 Oct 2022 6:11 PM GMT
कल्पवास मेला सिमरिया में हर ओर बह रही है धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की त्रिवेणी
x
बड़ी खबर
बेगूसराय। मिथिलांचल के दक्षिणी प्रवेश द्वार पावन गंगा तट सिमरिया में लगे बिहार के इकलौते एशिया प्रसिद्ध कल्पवास मेला में हर ओर ज्ञान, आध्यात्म और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। गंगा के पावन तट पर कल्पवास कर रहे श्रद्धालु सूर्यदेव को जल देकर अपने दिन की शुरुआत कर रहे हैं। इसके बाद गंगा पूजन और तुलसी पूजन के साथ-साथ हर ओर धर्म और अध्यात्म की कथाएं चल रही है। जिसके श्रवण के लिए बड़ी संख्या में कल्पवासी जुटे हुए हैं। सर्वमंगला अध्यात्म योग सिद्धाश्रम के संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि मिथिला के दक्षिणी सीमा पर स्थित सिमरिया का अनादि काल से महत्व रहा है। यह उत्तर एवं पश्चिम वाहिनी गंगा का अद्वितीय संगम स्थल है। राजा जनक के समय से यहां कल्पवास और प्रत्येक 12 वर्ष पर तुला राशि में चंद्रमा और बृहस्पति का योग रहने पर महाकुंभ होता था। राजा जनक कुल के बाद इसमें उत्तरोत्तर अंतर आता गया। लेकिन स्वतंत्रता स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह पुनः जागृत हुआ, कल्पवास के साथ ही कुंभ की व्यवस्था भी जागृत हुई।
2017 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाकुंभ का उद्घाटन करते हुए यहां के विकास की घोषणा की थी। सिमरिया में लगने वाले कल्पवास को राजकीय मेला का दर्जा मिल गया है, लेकिन संपूर्ण भारत में विशिष्ट स्थान रखने वाले इस कल्पवास को राष्ट्रीय मेला घोषित करने पर बिहार ही नहीं, भारतीय संस्कृति का अमूल्य धरोहर देश को गौरवान्वित करेगा। खालसा के महंत राजाराम दास ने कहा कि मां गंगा की गोद में श्रद्धालु नियमबद्ध एक संध्या करते हैं। समय के अनुकूल भोजन, पूजन, पाठ, अपने आराध्य देव की आराधना और संत-महंतों की सेवा एक साथ करते हैं। पहला अर्घ्य सूर्यदेव को देकर दिन की शुरुआत होती है। इस कलयुग में भी गंगा मैया सत्य हैं, बोतल में बंद कोई भी जल एक से दो महीने में खराब हो जाता है, लेकिन आज के समय में बोतल में रखा गंगाजल वर्षों तक खराब नहीं होता है। कल्पवासी ना केवल सूर्यदेव और गंगा मैया की आराधना करते हैं, बल्कि तुलसी पूजन, देव पूजन, भूमि पूजन और अतिथि पूजन भी करते हैं, जो अद्वितीय है। मिथिला की यह परंपरा पूरे भारत को गौरवान्वित करती है। कुल मिलाकर सिमरिया गंगा घाट पर हर ओर प्रवाहित हो रही त्रिवेणी लोगों को धर्म और अध्यात्म से सराबोर कर रही है तथा कल्पवासी के अलावा बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग गंगा स्नान के लिए भी आ रहे हैं।
Next Story