बिहार में स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स का हड़ताल दूसरे दिन भी जारी है. जिससे राज्य के कई अस्पतालों की OPD सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है. डॉक्टरों की हड़ताल से हजारों मरीजों परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है. राज्य भर में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है. हालांकि, इस दौरान आपातकालीन सेवा को चालू रखा गया है, ताकि इमरजेंसी में आए मरीजों का इलाज किया जा सके.
OPD सेवाओं पर बुरा असर पड़ा
पीएमसीएच समेत सभी नौ मेडिकल कॉलेज आंदोलन कर रहे इंटर्न डॉक्टरों ने बताया कि इंटर्न डॉक्टरों के स्टाइपेंड में 2017 के बाद से बढ़ोतरी नहीं हुई है. जबकि आईजीआईएमएस व एम्स में इंटर्न कर रहे डॉक्टरों को मानदेय के रूप में 30 से 35 हजार रुपए प्रतिमाह मिलती है. आईजीआईएमएस, एम्स और पीएमसीएच में एक जैसा काम है तो वेतन भी एक होनी चाहिए. डॉक्टरों ने बताया कि पीएमसीएच, एनएमसीएच, मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज, भागलपुर मेडिकल कॉलेज और दरभंगा मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले इंटर्न डॉक्टरों को स्टाइपेंड के तौर पर महज 15 हजार रुपए मिलती है. जबकि इससे अधिक तो दैनिक मजदूर भी कमाते हैं.
जारी रहेगा प्रदर्शन
दरअसल पिछले कई महीनों से बिहार भर के जूनियर डॉक्टर्स स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे है. इसके बावजूद उनकी मांगों पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. इस बात से नाराज जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी और आज हड़ताल दूसरा दिन है. जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर जाने से मरीजों का इलाज काफी प्रभावित हुआ है. जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि उनके स्टाइपेंड राशि कम से कम 25 हजार रुपये प्रतिमाह होनी चाहिए. छात्रों ने कहा कि सरकार जब तक उन लोगों की मांग नहीं मान लेती है. तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.