सिटी न्यूज़: गांव से शहर की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए देश में तीन सौ मॉडल कलस्टर विकसित किए जाएंगे, जिसका थीम होगा" आत्मा गांव की-व्यवस्था शहर की." ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने से विशेष बातचीत में कहा कि गांव शहर की ओर पलायन रोकने के लिए देश में तीन सौ मॉडल कलस्टर रूरल कांसेप्ट लागू किया जा रहा है. लोग रोजगार, बच्चों की शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए शहर जाते हैं, इस तीन सौ प्रोजेक्ट को पूरे देश में जब लागू कर दिया जाएगा तो गांव को शहर की ओर नहीं जाना पड़ेगा, इसमें कन्वर्जन होगा. करीब एक सौ करोड़ खर्च होगा, जिसमें से 30 प्रतिशत सरकार देगी तथा 70 प्रतिशत विभागीय योजनाओं से खर्च होगा. समतल एरिया में 25 हजार आबादी तथा हिल एरिया में 15 हजार की आबादी पर कलस्टर डेवलप किया जा रहा है. ग्रामीण विकास का यह मॉडल एक नई गाथा लिखेगा.
गिरिराज सिंह ने कहा कि 60 साल तक देश पर राज करने वाले परिवार ने गरीबी हटाओ का नारा लगाया, आधी रोटी खाएंगे इंदिरा को लाएंगे का नारा लगाया, रोटी-कपड़ा और मकान का नारा लगाया. लेकिन ना गरीबी हटा और ना सबको रोटी-कपड़ा और मकान मिला. जबकि नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के संकल्प से देश में गरीबी कम हो रहा है, सबको रोटी-कपड़ा और मकान मिल रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) (Prime Minister Narendra Modi) ने गरीब कल्याण लाकर रोटी की व्यवस्था की, मकान एवं कपड़े की व्यवस्था की तथा महिलाओं का सशक्तिकरण आवास योजना के द्वारा किया जा रहा है. 60 साल तक राज करने वाले कांग्रेस ने 60 साल में तीन करोड़ 26 लाख घर बनाया, जबकि नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) आठ साल में ही करीब तीन करोड़ घर बना चुके हैं, सिर्फ बिहार (Bihar) में 38 लाख घर सेक्शन किया गया. कांग्रेस सरकार में गरीबों के लिए प्रति वर्ष करीब 11 लाख आवास, प्रति माह 94 हजार आवास और प्रति दिन 3073 आवास बनाए गए थे. जबकि, मोदी सरकार में प्रति वर्ष 35 लाख से अधिक आवास, प्रति माह दो लाख 62 हजार से अधिक और प्रति दिन 88 सौ आवास बनाए गए हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण गरीबों को अपना पक्का घर देने का अभियान एक सरकारी योजना भर नहीं, बल्कि यह गरीब को विश्वास देने की प्रतिबद्धता है, यह गरीब को गरीबी से बाहर निकालने की पहली सीढ़ी है. पूववर्ती सरकार के समय केवल आवास स्वीकृत किया जाता था, लेकिन मोदी सरकार में गरीब परिवारों की जरूरतों को समझते हुए उन्हें और सहूलियत पहुंचाई गई. 12 हजार रुपया शौचालय पर, 18 हजार रुपया मनरेगा के तहत कुशल मजदूरी, उज्ज्वला के तहत गैस कनेक्शन तथा सौभाग्य से बिजली भी मिल रही है. गिरिराज सिंह ने कहा कि मोदी के आने से पहले महात्मा गांधी रोजगार योजना (मनरेगा) में 33 हजार करोड़ का बजट था, आज बजट एक लाख करोड़ को पार कर चुका है. मनरेगा में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है तथा राज्य एवं जनता से भी अनुरोध किया जा रहा है. अब सभी पंचायत में मनरेगा का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनेगा, जिसमें पूर्व और वर्तमान जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया, वार्ड सदस्य, एमपी, एमएलए, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी रहेंगे. ग्रुप में किसको कितने नंबर का जॉब कार्ड मिला, कौन काम एलॉट किया गया है भी रहेगा तो सब कोई देखेंगे कि क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है. डीएम, डीडीसी, बीडीओ धरातल पर जाएंगे, ज्योग्राफिकल टैग डाला जाएगा.
नरेन्द्र मोदी की सरकार सभी मामलों में पारदर्शिता लाना चाहती है. मनरेगा का पैसा मजदूरों के खाता में आता है, पहले जब हाथ में पैसा आता था कई हाथों में जाता था, लेकिन अब सरकार डायरेक्ट पैसा दे रही है. सरकार का उद्देश्य है कि सभी मजदूरों को मनरेगा में रोजगार मिले. राज्य सरकार (State government) सभी मजदूरों को ट्रेनिंग दिलाए, जिसका पैसा केंद्र सरकार देगी. ट्रेनिंग दिलाकर रोजगार में लगाया जाएगा आर्थिक समृद्धि होगी गांव में ही काम मिलेगा तो शहर की ओर पलायन रुक जाएगा.