बिहार
शराबबंदी में अबतक सिर्फ नवंबर में 11 हजार लोग गिरफ्तार, 3.25 लाख लीटर शराब जब्त
Deepa Sahu
15 Dec 2021 6:17 PM GMT
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अभी कुछ दिनों पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार किसी भी हाल में शराबबंदी कानून वापस नहीं लेने वाली है,
अभी कुछ दिनों पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार किसी भी हाल में शराबबंदी कानून वापस नहीं लेने वाली है, और इसके लिए और कठोर कदम उठाने की बात भी की थी. लेकिन सरकार ने शराबबंदी को लेकर बेशक कड़े कानून बना लिए हों, मगर हकीकत इससे एकदम उलट है. दरअसल, शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब पकड़ी जा रही है और लोग इसका सेवन भी कर रहे हैं.
आज बुधवार को बिहार पुलिस ने बिहार में शराबबंदी से जुड़ी कार्रवाइयों को लेकर आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ नवंबर महीने में अब तक प्रदेश में 3 लाख 25 हज़ार 878 लीटर शराब जब्त की जा चुकी है, जबकि 11 हजार से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. वाकई, अब यह प्रश्न उठाना लाजिमी है कि बिहार में यह कैसी शराबबंदी है, जहां इतने लोग गिरफ्तार हो रहे है, और हज़ारों लीटर शराब बरामद भी.
घरों का अधिग्रहण भी
बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पुलिसिया कार्रवाई में गिरफ़्तारी और शराब जब्ती के अलावा 924 दुपहिया समेत 315 तिपहिया-चार पहिया वाहन ज़ब्त किए गए हैं. इसके साथ ही 198 घरों का अधिग्रहण भी किया गया है. 3 लाख 13 हज़ार लीटर शराब ज़ब्त करके नष्ट भी की गई है.
शराब बरामदगी मामले में बिहार के टॉप-5 जिले
वैशाली
पटना
समस्तीपुर
औरंगाबाद
मुजफ्फरपुर
गिरफ्तारी के मामले में टॉप-5 जिले
मुजफ्फरपुर
पटना
गोपालगंज
बेतिया
मोतिहारी
कई लोगों की मौत
बिहार में 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी है लेकिन शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता है जब कहीं पर शराब बरामद न होती हो. जाहिर है कि लोग चोरी-छिपे इसे पी रहे हैं और सबसे बड़ी बात नवंबर महीने में ही जहरीली शराब की चपेट में आने से गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और बेतिया में कई लोगों की मौत भी हो गई थी .
शराबबंदी कानून की समीक्षा
अभी कुछ दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून के फैसले को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी, जिसमें सीएम समेत सभी जिलों के डीएम, एसपी समेत सचिव और प्रभारी मंत्रियों मौजूद थे. बैठक में कुछ जरूरी फैसले भी लिए गए थे जिसमें शराब की होम डिलीवरी पर कार्रवाई करने और अभियान को सख्त करने की बात की थी. किसी थानेदार की शिकायत आती है तो 10 सालों तक थानेदारी नहीं मिलने, जिलों के प्रभारी मंत्री की अगुवाई में हर महीने शराबबंदी की समीक्षा करने जैसी बातें की गई थीं, लेकिन परिणाम कुछ खास आ नहीं रहा है.
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