नालंदा न्यूज़: राजगीर अगलगी के कारणों पर अधिकारी अब भी मंथन करने में लगे हैं. लेकिन, 16 अप्रैल को लगी आग से वन विभाग, जिला प्रशसन व अग्निशमन विभाग को कई फैसले लेने पर विवश कर दिया. घटना से सबक लेते हुए पहाड़ों की निगरानी के लिए फिलहाल तीन दल तैनात कर दिये हैं.डीएम शशांक शुभंकर ने कहा कि अगलगी की घटनाओं और उससे होने वाली क्षति को नगण्य करने के लिए कई अहम निर्णय लिये गये हैं.
भविष्य में इनकी संख्या जरूरत के अनुसार बढ़ायी जाएगी. हर दल में पांच कर्मी शामिल हैं. वहीं तीन प्रखंडों के 24 गांवों को संवेदनशील चिह्नित किया गया है. जिला प्रशासन वहां स्वयंसेवी तैयार कर रहा है. तीन से अधिक ड्रोन भी 24 घंटे निगाह रखेंगे.
13 सरकारी तो 5 निजी हाईड्रेंटवर्तमान में राजगीर व गिरियक वन क्षेत्रों में 13 सरकारी हाईड्रेंट हैं. इसके अलावा राजगीर में पांच निजी हाईड्रेंट भी हैं. जबकि, जिला व्यायामशाला, वन विभाग अतिथिशाला, राजगीर रेलवे स्टेशन, एसडीओ ऑफिस के पास हाईड्रेंट स्थापित करने का प्रस्ताव है. सर्वे के बाद
हाईड्रेंट की संख्या बढ़ायी जाएगी.
फिक्स्ड फायर सिस्टम होगा राजगीर व गिरियक पहाड़ों पर फिक्स्ड फायर सिस्टम की स्थापना की जाएगी. जबकि, पहाड़ के दोनों ओर, यार्ड हाईड्रेंट बनाये जाएंगे. वहां स्थायी रूप से अधिकारी व कर्मी तैनात रहेंगे.
बार-बार भड़की आग, लगी 12 टीमें वन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पछुआ हवा और 40 पार का पारा ने आग भड़कने में मदद की. आग कम से कम आठ बार भड़की. वहीं, आग बुझाने के लिए 12 टीमों के संग 36 दमकल, व नगर निकायों, एसएफसी व मनरेगा के 500 कर्मी लगे.
सातवीं घटना अति भयावहफरवरी से अब तक छह बार पहले भी आग लग चुकी है. लेकिन, सातवीं घटना अति भयावह थी. इसके पहले 18 व 20 फरवरी और 5 अप्रैल को विपुलाचलगिरि तो 6 व 29 मार्च को रत्नागिरि पर भी आग लगी थी. 16 अप्रैल को लगी आग ने सरकार को भी कई नये फैसले लेने पर विवश कर दिया.