बिहार

जिले में पूरे जुलाई महीने में नहीं हुई खेती लायक बारिश

Admin Delhi 1
3 Aug 2023 6:49 AM GMT
जिले में पूरे जुलाई महीने में नहीं हुई खेती लायक बारिश
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गोपालगंज न्यूज़: गोपालगंज जिला भीषण सूखे की चपेट में है. जुलाई में 25 दिनों तक लगातार बारिश नहीं हुई. बारिश नहीं होने से जिले में लगी आधी से अधिक खरीफ फसलें चौपट होने के कगार पर हैं. खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें फट गई हैं. पौधे पीले पड़ते जा रहे हैं.

पिछले दो दिनों से जिले के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई भी है तो झुलसती फसल की प्यास नहीं बुझ सकी है. किसान आसमान की ओर निहार रहे हैं. आसमान में काले-उजले मंडरा तो रहे हैं मगर बारिश नहीं हो रही है. मौसम विभाग का पूर्वानुमान भी फेल हो रहा है. लगातार सूखे की स्थिति बने रहने से खासकर असिंचित इलाके में धान की फसल झुलस कर बर्बाद हो रही है. सिंचित इलाके में भी किसान पंप सेट व दूसरे वैकल्पिक सिंचाई साधनों से बार-बार सिंचाई कर थक हार चुके हैं. महंगे डीजल खरीद कर बार-बार पंप सेट से सिंचाई करना उनके लिए संभव नहीं है.

यूपी से सटे इलाकों की स्थिति बेहद खराब है. पंचदेवरी,विजयीपुर,कटेया व भोरे में खेतों में खड़ी धान की फसल सूख रही है. पौधे विकास नहीं कर रहे है. वाष्पीकरण दर के बढ़े रहने से सिंचाई करने के अगले दिन ही खेतों से नमी गायब हो जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार रोजाना 7 से 8 मिलीमीटर तक वाष्पीकरण हो रहा है.

धान की रोपनी का लक्ष्य नहीं हुआ,70 फीसदी बिचड़े हुए खराब जुलाई माह खत्म होने को है मगर अब तक धान की रोपनी का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. धान के 70 फीसदी बिचड़े बारिश के इंतजार में खराब हो चुके हैं. कृषि विभाग ने इस वर्ष 88 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य निर्धारित किया था. लेकिन, जुलाई माह लगभग बीत जाने के बाद भी बमुश्किल पचास फीसदी रोपनी हो सकी है. हालांकि कृषि विभाग 98 प्रतिशत से अधिक रोपनी का दावा कर रहा है.

24 घंटे में कुछ इलाकों में हुई हल्की बारिश

पिछले 24 घंटे में जिले के थावे, मांझागढ़ व बरौली में बारिश होने से झुलसती फसलों में थोड़ी-बहुत जान आयी है. जबकि पंचदेवरी, हथुआ, उचकागांव,गोपालगंज सदर आदि इलाके पूरी तरह से सूखा रहा.

पूर्वोत्तर इलाके के बैकुंठपुर, बरौली, सिधवलिया इलाके में जून में थोड़ी -बहुत बारिश हुई थी. जिले के कुचायकोट, बरौली, मांझागढ़ व गोपालगंज सदर इलाके में पंप सेट से सिंचाई कर रोपनी करनी पड़ रही है.

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