बक्सर न्यूज़: वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय ने उद्यान नर्सरी को अनुसंधान केन्द्र बनाने के लिए अपने जिम्में लिया है. नर्सरी के मुख्य गेट पर बोर्ड भी लगा दिया है. अनुसंधान प्रक्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए जब भी महाविद्यालय ने कोई कदम उठाया, पानी जमा होने के कारण उसे अपना पांव खींचना पड़ गया. पानी के चलते नर्सरी में लगे आम, अमरूद, लीची सहित अन्य कीमती पेड़ सूख चुके हैं. कभी इस नर्सरी से हजारों रुपये का फायदा विभाग को होता था, अब कुछ नहीं होता. कृषि कॉलेज के बच्चों को जब भी अनुसंधान करने के लिए प्रक्षेत्र में लाया जाता है, तो पानी जमा होने के कारण वापस लौटना पड़ जाता है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रियाज अहमद कहते है कि अनुसंधान प्रक्षेत्र से पानी निकालने के लिए नगर परिषद के ईओ मनोज कुमार के साथ ही डीएम अमन समीर व विभाग के उच्च अधिकारियों तक को जानकारी दी गई,
लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि पानी जमा होने के कारण छात्र-छात्राएं अनुसंधान से वंचित हो रहे हैं. कई ने कहा कि अगर नगर परिषद चाहता तो अनुसंधान प्रक्षेत्र में पानी जमा ही नहीं होता. ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि नप की मनमानी कार्य-प्रणाली से छात्र-छात्रा से लेकर आमजनों तक को कितनी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. इस संबंध में छात्रों का कहना है कि देश में कृषि क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान की तुलना में उन्हें बेवजह की परेशानी से जूझने की मजबूरी है. उनका दर्द कोई नहीं देखता.