बिहार
बिहार में गया के बोधगया में एक ऐसा स्कूल है, जो फीस के बदले कचरा लेता .
Tara Tandi
26 Sep 2023 1:26 PM GMT

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बिहार में गया के बोधगया में एक ऐसा स्कूल है, जो फीस के बदले कचरा लेता है. सही सुना आपने, कचरा. यानी इस स्कूल में पढ़ने के लिए पैसे नहीं बल्कि कचरा देना पड़ता है. सुनने में अटपटा जरूर लगता है, लेकिन ये एक बेहतरनी पहल है क्योंकि इससे ना सिर्फ गरीब घर के बच्चों को बिना पैसों के ही बेहतर शिक्षा दी जा रही है, बल्कि स्वच्छता को लेकर भी ये स्कूल और यहां के छात्र बेहतरीन संदेश भी दे रहे हैं. ये अनोखा स्कूल बोधगया के सेवा बीघा गांव में है. इसका नाम पदम पानी है. इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां बच्चों से फीस में पैसे के बदले कचरा लिया जाता है. इसलिए बच्चे जब घर से निकलते हैं, तो अपने साथ रास्ते में दिखने वाले कचरों को उठाकर ले आते हैं और उसे स्कूल में लगे डस्टबिन में डाल देते हैं.
बोधगया का अनोखा स्कूल
यही उनकी फीस होती है. इस फीस के बदले छात्रों को कई तरह की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. उन्हें स्कूल में हर सुविधा दी जाती है. छात्रों के लिए यहां ड्रेस से लेकर कॉपी-कलम सब कुछ मुफ्त होता है. पदम पानी देश का पहला ऐसा स्कूल है, जहां फीस के बदले कचरा लिया जाता है. बता दें कि स्कूल में करीब ढाई सौ बच्चे हैं. स्कूल में 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. यहां हर विषय पढ़ाया जाता है, चाहें कंप्यूटर की शिक्षा हो या खेती की. स्कूल में प्रवेश करते ही बच्चों का अनुशासन देखते ही बनता है. इस स्कूल की स्थापना 2014 में कोरिया के समाजसेवी ने की थी. उनकी मदद से राकेश समदर्शी और मनोरंजन कुमार समदर्शी की देखरेख में स्कूल शुरू हुआ, लेकिन इस स्कूल की स्थिति तब बिगड़ने लगी, जब कोरोना काल में मिलने वाली सहायता कम हो गई.
स्कूल में फीस की जगह लेते हैं कचरा
कई इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे. बड़ी बात ये है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे जब मैट्रिक पास कर जाते हैं, तो उन्हें आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए 5 हजार की राशि प्रोत्साहन के तौर पर दी जाती है. ये स्कूल अपने आप में एक मिसाल है. एक तरफ जहां सरकारी स्कूलों में भी सरकार छात्रों को जो सुविधाएं नहीं दे पाती. वहां समाजसेवियों की ओर से संचालित इस स्कूल ने शिक्षा व्यवस्था की दिशा बदल दी है.
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