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बिहार | गांव-कस्बों में रहने वाले लोगों के लिए डेंगू की बीमारी एक आफत से कम नहीं है. लोगों का उनके प्रखंड, अनुमंडल में खुले अस्पतालों में डेंगू का इलाज तो हो जा रहा है. लेकिन भर्ती होने की बारी आती है तो उन्हें 30 से 50 किमी तक की दौड़ लगाते हुए शहर तक आना पड़ता है. ऐसे में जबकि शासन के निर्देश पर सिविल सर्जन ने सभी प्रखंड अस्पतालों में तीन से लेकर पांच बेड तक का डेंगू वार्ड शुरू करने का फरमान तक जारी कर दिया है.
बीते माह राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने सूबे के सभी सिविल सर्जन को आदेश दिया था कि सदर अस्पताल में दस बेड का डेंगू वार्ड, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल व सीएचसी-पीएचसी में तीन से पांच बेड का डेंगू वार्ड शुरू किया जाए. हरेक अस्पताल में डेंगू जांच से लेकर उनके इलाज के लिए जरूरी दवा-इंजेक्शन से लेकर स्लाइन व बचाव के हरेक बेड पर मच्छरदानी की व्यवस्था का निर्देश दिया गया था.
हरेक सीएचसी, पीएचसी, अनुमंडलीय व रेफरल अस्पताल के प्रभारियों को निर्देश है कि वे अस्पताल में डेंगू वार्ड को शुरू कराते हुए डेंगू मरीजों को भर्ती करें.-डॉ. मनोज कुमार चौधरी, प्रभारी सिविल सर्जन
भर्ती हो चुके हैं आठ मरीज
मायागंज अस्पताल के डेंगू वार्ड में बीते तीन दिन में सन्हौला से दो, नाथनगर, पीरपैंती व कहलगांव प्रखंड से एक-एक डेंगू के मरीज भर्ती हो चुके हैं. ये तो महज मायागंज अस्पताल के आंकड़े हैं. निजी अस्पतालों के मरीजों को जोड़ने पर संख्या और बढ़ जाएगी.
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Harrison
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