बिहार
800 रुपए के लिए 75 साल मुकदमा चला, सिर पकड़ लेंगे नतीजा जानकर
Kajal Dubey
17 May 2022 10:41 AM GMT
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Bihar Crime 75 साल बाद आया 800 रुपये के कर्ज विवाद में फैसला नतीजा जानकर आप भी पकड़ लेंगे सिर मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही वादी-प्रतिवादी दोनों की हो चुकी मौत बेटों ने ब्याज समेत जमा की कर्ज की राशि
बिहार के बक्सर जिले में 75 साल पहले कोर्ट में दर्ज कराए गए आठ सौ रुपये के कर्ज के एक मामले का बीते गुरुवार को पटाक्षेप हो गया। वादी और प्रतिवादी दोनों की मौत हो चुकी है। कोर्ट की नोटिस पर कर्ज लेने वाले के पोते सूर्यनारायण चौरसिया ने कोर्ट की ट्रेजरी में गुरुवार को 3584 रुपये जमा कराए और दादा का कर्ज उतार उऋण हो गया। 1947 में दर्ज कर्ज के इस मामले की सुनवाई मुंसिफ-2 नितिन त्रिपाठी की कोर्ट में की गई।
बताया गया कि तत्कालीन शाहाबाद जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के चकरहंसी गांव निवासी गुप्तेश्वर प्रसाद ने 1947 में बक्सर चौक निवासी भिखारी लाल से आठ सौ रुपये कर्ज लिए थे। तब इतने पैसे में सौ ग्राम सोना मिल जाता था। अब 100 ग्राम सोने की कीमत चार लाख रुपए के पार चली जाएगी। कर्ज की रकम वापस नहीं मिलने पर भिखारी लाल ने 1947 में गुप्तेश्वर प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। 1970 में अदालत ने गुप्तेश्वर को सूद समेत रकम लौटाने का फैसला सुनाया, परंतु वे पैसा नहीं लौटा सके।
इस बीच 1972 में शाहाबाद बंट कर भोजपुर और रोहतास जिला बन गया। तब मामला भोजपुर कोर्ट में चला गया। 17 मार्च, 1991 को भोजपुर से अलग होकर बक्सर जिला बना तो केस यहां की अदालत में ट्रांसफर हो गया। इस बीच वादी व प्रतिवादी दोनों का निधन हो गया। बावजूद इसके दोनों के बेटों के नाम से कोर्ट की नोटिस जाती रही। मुंसिफ नितिन त्रिपाठी ने मामले को जल्द समाप्त करने के इरादे से वादी और प्रतिवादी दोनों के पुत्रों को नोटिस भेजकर बुलवाया।
कोर्ट में एक पक्ष के गुप्तेश्वर प्रसाद के पोते सूर्यनारायण चौरसिया पहुंचे और कहा कि कोर्ट का निर्णय उन्हें मान्य होगा। तब कोर्ट ने 1970 से अब तक छह प्रतिशत ब्याज के साथ कर्ज की राशि लौटाने का आदेश जारी किया। चूंकि, दूसरे पक्ष से कोई नहीं आया था, लिहाजा इन्होंने कोर्ट के नाजिर के पास ब्याज समेत पूरी राशि जमाकर केस को अंतिम रूप से समाप्त करा दिया।
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