बिहार
निर्माणों की कथा बहुत सं क्षिप्त हमारी है, जो अब तक हो जाना था उसकी तैयारी है- विवेक ठाकुर
Shantanu Roy
23 Jan 2023 12:20 PM GMT
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गया। भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद श्री विवेक ठाकुर ने पटना में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी 22 फरवरी 2023 को सुबह 11 बजे पटना के बापू सभागार में स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती समारोह सह किसान मजदूर समागम का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। भाजपा सांसद विवेक ठाकुर ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती आधुनिक भारत के सबसे बड़े किसान नेता एवं महान स्वतंत्रता सेनानी थे।उनका जीवन अनुकरणीय है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज हित में लगाया। एक तपस्वी के भांति उन्होंने अपना जीवनयापन किया। यह सौभाग्य की बात है कि उनकी कर्मस्थली बिहार रही। वे एक युगदृष्टा थे। हमेशा समाज के सभी वर्गों के उत्थान की बात करते थे। 1927 में उन्होंने किसान सभा की स्थापना की और उसका केंद्र पटना के बिहटा को बनाया, वहीं से उन्होंने किसान आंदोलन को संचालित किया। बिहटा स्थित उनके आश्रम में सुभाष चन्द्र बोस भी इनसे मदद मांगने आए थे। विवेक ठाकुर ने कहा यह बहुत दुखद है कि किसान आंदोलन के जनक तथा भारत की आजादी में अहम योगदान होने के बावजूद युग पुरुष को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया गया।
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी स्वामीजी को आधुनिक इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि धर्म‚ समाज सुधार और राजनीति को लेकर आधुनिक भारत के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान है। धर्म और समाज सुधार के क्षेत्र में उनका योगदान वैसा ही है‚ जो दयानन्द और विवेकानन्द का है। समाज सुधार में सहजानन्द के अर्थपूर्ण हस्तक्षेप के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें 'दलितों का सन्यासी' कहा है। स्वामी सहजानंद सरस्वती के राजनीतिक कद को समझने के लिए सुभाष चंद्र बोस का यह कथन महत्वपूर्ण है कि 'साबरमती आश्रम में मैंने खादी धोती पहने कई सन्यासी को देखा परंतु भारत का सच्चा सन्यासी मुझे पटना के बिहटा स्थित सीताराम आश्रम में मिला। विवेक ठाकुर ने कहा यह बहुत दुखद है कि देश के सबसे बड़े किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की जयंती और पुण्यतिथि पर बिहार में कोई भी राजकीय कार्यक्रम आयोजित नहीं की जाती है। यहां तक कि बिहार सरकार द्वारा बनाई गई डायरी व कैलेंडर में उनकी जयंती और पुण्यतिथि तक चिन्हित नहीं है। 75 वर्ष बाद स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की हिंदी में लिखी पुस्तक 'मेरा जीवन संघर्ष' का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। 20 वर्ष की निजी प्रयास व मेहनत से अंग्रेजी में अनुवादित होकर यह पुस्तक 'माई लाइफ स्ट्रगल' के नाम से आई है। पुस्तक अनुवादक कैलाश झा और वाल्टर हाउजर ने कहा की यह उनकी आत्मकथा नहीं बल्कि संस्मरण है। उन्होंने कहा यह दुख की बात है की जिस तरह गांधी‚ तिलक‚ नेहरु‚ बोस और पटेल आदि को देश के लोग जानते हैं उस तरह से स्वामी सहजानंद सरस्वती को नहीं जानते जबकि वह देश के सबसे बड़े किसान नेता रहे हैं।
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