बिहार
डीएम साहब स्वाध्याय की परंपरा के प्रतीक की स्थिति चिंताजनक है : राकेश सिन्हा
Shantanu Roy
20 Oct 2022 6:25 PM GMT
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बेगूसराय। राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने बेगूसराय के डीएम को पत्र लिख कर जिला मुख्यालय के स्वर्ण जयंती पुस्तकालय सहित जिले के अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकालय की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने जल्द सभी पुस्तकालय का निजी तौर पर निरीक्षण करते हुए प्रबंधन समिति की बैठक बुलाकर इसके कायाकल्प का सुझाव दिया है, जिससे इसका ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व कायम रहे। राकेश सिन्हा ने कहा है कि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग शिक्षण संस्थाओं से होकर गुजरता है। भारतीय समाज स्वाध्याय और सत्संग की परंपरा का ज्वलंत उदाहरण है। शिक्षा को हम व्यवसाय के रूप में कम, स्व-निर्माण और स्व-संस्कार के रूप में अधिक देखते हैं। शिक्षा के प्रति रूझान का जीता-जागता उदाहरण बेगूसराय जिला का पुस्तकालय है। हमारे पूर्वजों ने स्वाध्याय के मर्म को समझकर प्रतिकूल परिस्थितियों में पुस्तकालयों की स्थापना दशकों पूर्व की थी। कुछ तो उस समय की है जब आजादी का संघर्ष चल रहा है। हमने कभी भी प्राथमिकता से शिक्षा को नीचे उतरने नहीं दिया।
उनमें से एक पुस्तकालय स्वर्ण जंयती पुस्तकालय है। जहां कि देश की बड़ी विभूतियों नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राहुल सांकृत्यायन जैसे प्रमुख का आगमन वहा हुआ था। लेकिन उसकी स्थिति संतोषप्रद नहीं है, इसलिए जिले के पुस्तकालयों का सर्वेक्षण कराकर उनकी स्थिति का जायजा लिया जाए, विशेषकर ऐतिहासिक रूप से अस्तित्व में बनी इन पुस्तकालयों के प्रबंधन समिति के सदस्यों को बुलाकर एक बैठक की जाए। इनमें कई पुस्तकालयों में मैं जा चुका है, इनका समयानुसार जीर्णोद्धार अति आवश्यक है। बेगूसराय जिले में ऐसे पुस्तकालयों की संख्या 20 से अधिक है। जिसमें स्वर्ण जंयती पुस्तकालय बेगूसराय, दिनकर पुस्तकालय सिमरिया, राधा जीवन स्मारक पुस्तकालय, मेघौल, विश्वबन्धु पुस्तकालय बखरी, जगदम्बी पुस्तकालय मंझौल, युगांतर पुस्तकालय अतरूआ (भगवानपुर) तथा स्वतंत्रता के पूर्व स्थापित लक्ष्मी पुस्तकालय सिहमा (छौड़ाही) है। उन्होंने डीएम से इस दिशा में अविलंब कदम उठाते हुए अवगत कराने को कहा है।
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