बिहार
बखरी में लगा था नारा ''सरकार को भेज दो तार, डीएम-एसपी हो गया गिरफ्तार''
Shantanu Roy
11 Oct 2022 6:07 PM GMT

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बड़ी खबर
बेगूसराय। संघर्ष की भूमि कहे जाने वाले बेगूसराय जिला के बखरी के लिए 12 अक्टूबर ऐतिहासिक दिन है। 28 वर्ष पहले 12 अक्टूबर को बखरी को अनुमंडल के रूप में पुनर्जन्म मिला। बखरी को अनुमंडल के रूप में देखने का सपना यूं ही हासिल नहीं हुआ है, वरन अपने वाजिब हक के लिए बखरी वासियों को लंबे संघर्ष से गुजरना पड़ा। बखरी अनुमंडल के लिए आमजन और नौजवानों ने लंबे संघर्ष के दौरान सरकार से लेकर सड़क तक लंबी लड़ाइयां लड़ी। पुलिस की लाठियां खाई,वर्षों मुकदमे झेले और जेल की हवा खानी पड़ी, तब जाकर बना यह अनुमंडल। श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय के अध्यक्ष कौशल किशोर क्रांति बताते हैं कि दो अक्टूबर 1972 को बेगूसराय जिला स्थापना के साथ ही बखरी अनुमंडल की आवश्यकता लोगों को महसूस होने लगी थी। जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी तथा यातायात की दुरूह व्यवस्था के कारण बखरी विकास के मायने में लगातार पिछड़ता जा रहा था। तब स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ ही बौद्धिक सभा मंच पर भी बखरी को अनुमंडल बनाओ की मांग लगातार उठाई जा रही थी। 1989 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन, खुला पत्र तथा धरना प्रदर्शन के माध्यम से आंदोलन को जीवंत बनाए रखा। 1992 में कर्पूरी चौक पर बखरी को अनुमंडल बनाओ की मांग को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी रामेश्वर सिंह की गाड़ी विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने रोक लिया था। इस दौरान कांग्रेस नेता कमलेश कुमार कंचन की गिरफ्तारी हो गई, पुलिस ने उन पर बर्बरता पूर्वक लाठियां चटकायी।
विद्यार्थी परिषद के नौ छात्र नेताओं पर मुकदमे हुए। बेगूसराय व्यवहार न्यायालय में राज्य बनाम अशोक राम में कमलेश कंचन सहित अभाविप के सिधेश आर्य, प्रेम किशन, वरूण गुप्ता, कृष्ण कुमार टंकोरिया, अशोक आर्य, राजकिशोर साह उर्फ एसपी तथा संजीव अग्रवाल पर बखरी को अनुमंडल बनाने की मांग को लेकर अवैध मजमा लगाने, सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करते हुए डीएम की गाड़ी रोकने, नारेबाजी और तत्कालीन बीडीओ नईम अख्तर पर जान मारने की नीयत से हमला तथा मारपीट के आरोप में दशकों मुकदमा चला। इस बीच बखरी विकास समिति के राजकिशोर राज के प्रयास से कार्मिक विभाग में बखरी का फाईल पुटअप किया गया। तत्कालीन मंत्री कैफील अहमद कैफी की ऐतिहासिक सभा दुर्गा मंदिर के मैदान में हुई। जिसमें कमलेश कुमार कंचन ने आत्मदाह की घोषणा कर दी। पटना में आत्मदाह के प्रयास में एक बार फिर से उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा। इस बीच तब के प्रख्यात रंगमंच के कलाकार और गायक मनोहर केसरी का एक गाना आंदोलन के लिए जनक्रांति गीत बन गया। अनुमंडल बनाओ संघर्ष समिति ने अनिश्चित कालीन बखरी बंद का आह्वान कर दिया। प्रचंड जनांदोलन खड़ा हो गया, लोगों ने रेल का सिग्नल तोड़ दिया, पटरियां उखाड़ दी, स्टेशन पर तोड़-फोड़ हुआ, संचार के सभी साधन ठप करते हुए टेलिफोन के तार तोड़ दिए और खंभों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। आंदोलन के सातवें दिन बातचीत के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी प्रफुल्ल रंजन सिन्हा एवं एसपी गुप्तेश्वर पांडेय आए। जिन्हें आंदोलनकारियों ने स्थानीय श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में बंद कर दिया। लोगों ने नारा लगाया ''सरकार को भेज दो तार, डीएम-एसपी हो गया गिरफ्तार।'' बाद में एसपी गुप्तेश्वर पांडेय किसी तरह पुस्तकालय के पिछले दरवाजे से निकल कर जनता के बीच चले आए तथा डीएम के गोली चलाने के आदेशों की अनदेखी कर लोगों की मांगों को सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया। डीएम प्रफुल्ल रंजन सिन्हा ने अनुमंडल बनने की सभी अहर्ता होने के बावजूद अनदेखी किए जाने सहित सम्यक रिपोर्ट सरकार तक भेजा। राजनीतिक स्तर पर भोला बाबू ने पहल की, सरकार का हेलिकॉप्टर बखरी में उतरा। लेकिन हाईकोर्ट में कुछ कानूनी अड़चनों के कारण तब इसकी विधिवत घोषणा नहीं की जा सकी। इसके बाद 12 अक्तूबर 1994 को सारी विध्न बाधाओं को पारकर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एक बार फिर बखरी आए और अनुमंडल कार्यालय का शिलान्यास हुआ। कौशल किशोर क्रांति कहते हैं कि मेरी पीढ़ी ने आजादी का आंदोलन नहीं देखा, आजादी की दूसरी लड़ाई सन 74 का भी आंदोलन नहीं देखा। लेकिन बखरी को अनुमंडल बनाओ आंदोलन देखा, लड़ा और इसमें सहभागी बना।
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