मधुबनी न्यूज़: अब बार्डर इलाके में उर्वरक की कालाबाजारी, जमाखोरी व तस्करी करने वालों की खैर नहीं होगी. इसके लिए कई स्तर पर छापेमारी दल का गठन किया गया है, जो सतत छापेमारी कर उर्वरक की नेपाल में कालाबाजारी पर लगाम लगाएगी. इस कार्य में प्रशासनिक पदाधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी व बार्डर पर तैनात एसएसबी संयुक्त रूप से अभियान चलाएगी. हर वर्ष खरीफ मौसम में इंडो-नेपाल बार्डर पर उर्वरक की कालाबाजारी व तस्करी होती है. बीते वर्ष भी छापेमारी के दौरान एसएसबी व अन्य पदाधिकारियों की जद में तस्कर आए. बावजूद खुली सीमा का फायदा उठाकर नेपाल में यूरिया व अन्य उर्वरक की जमकर बार्डर इलाके के लोग कालाबाजारी करते हैं. इस वजह से मधुबनी के तमाम जगहों पर उर्वरक खरीफ मौसम में किल्लत हो जाती है. इसी बात के मद्देनजर जिला प्रशासन ने पूरी सख्ती बरतनी शुरू कर दिया है. इंडो-नेपाल बार्डर क्षेत्र में उर्वरक की कालाबाजारी व तस्करी पर लगाम लगाने के लिए कई स्तर पर छापेमारी दस्ता बनाया गया है. डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने ने बार्डर इलाके में उर्वरक की कालाबाजारी, जमाखोरी व तस्करी रोकने के लिए लगातार छापेमारी करने का निर्देश दिया है. खासकर बार्डर इलाके से लगे क्षेत्रों में बेनीपट्टी, जयनगर व फुलपरास अनुमंडल के एसडीओ को निर्देश मिला है कि वे लगातार बार्डर इलाके में उर्वरक की कालाबाजारी व जमाखोरों पर नजर रखें. इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं होगी.
तीन वर्ष पूर्व नेपाल में 1600 एमटी खाद पहुंची थी
जिले में तीन वर्ष पूर्व भी करीब 1600 एमटी उर्वरक नेपाल में तस्करी की गई थी. विभागीय छापेमारी में यह साबित भी हो चुका था. इसके अलावा कई गोदामों पर छापेमारी कर बड़ी मात्रा में उर्वरक की जमाखोरी की बात सामने आई थी. जबकि जिले कि किसानों को पिक सीजन में उर्वरक की उपलब्धता नहीं मिल पा रही है. 15 दिनों तक भी सरकारी खाद की दुकानें आवंटन के अभाव में बंद रहता है. ऐसे में किसान दुगूनी से भी अधिक कीमत पर उर्वरक खरीदने को विवश हो रहे हैं.
नदी-नाले और खेतों से होकर गुजर जाते हैं तस्कर
खरीफ और रबी मौसम में उर्वरक की यहां पर किल्लत रहती है, मगर नेपाल में प्रतिदिन सैकड़ों बोरियां उर्वरक नदी, नाले, खेत व पंगडंडियों के माध्यम से बार्डर क्षेत्र पहुंच रही हैं. कई बार हिन्दुस्तान ने इस खबर को तस्करी के लिए ले जाते उर्वरक की तस्वीर के साथ खबरें भी छापी है. खुली सीमा रहने की वजह से एसएसबी भी मूकदर्शक बनकर रह जाता है. कई बार एसएसबी ने तस्करों को दबोचा है. बार्डर से लगे खुली उर्वरक की दुकानों पर सख्ती बरतनी शुरू हुई.
चार स्तरों पर बनी है छापेमारी के लिए टीम
उर्वरक की कालाबाजारी व तस्करी पर लगाम लगाने के लिए त्चार स्तरों पर छापेमारी टीम बनाई गई हैं. जिला स्तर पर जिला कृषि पदाधिकारी को उर्वरक निरीक्षण बनाया गया है. वहीं अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी उर्वरक निरीक्षक बनाए गये हैं. प्रखंड स्तर पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक उर्वरक निरीक्षक बनाए गये हैं. पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक की करीब एक माह से हड़ताल पर रहने से निगरानी नहीं हो पा रही है.