नेपाल के जंगल से भटककर सीमावर्ती ईलाकों में हाथियों के आने का सिलसिला लगातार जारी
गोपालगंज: नेपाल के जंगल से भटककर सीमावर्ती ईलाकों में हाथियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. एक दिन नेपाल में रूकने के बाद एकबार फिर से की रात हाथियों का झुंड ने सीमावर्ती ईलाकों में प्रवेश करते हुए अठगछिया पंचायत के डेरामारी गांव के सलीम नामक व्यक्ति के एक घर को क्षतिग्रस्त करते हुए की सुबह होने से पहले गांव के समीप के मक्के के खेतों में डेरा डाल दिया है और करीब की संख्या में डेरा डाले हाथियों द्वारा दिनभर मक्के की फसल को बर्बाद किया जा रहा है. पिछले 90 दिनों के अंदर यह 15 वीं घटना है जब हाथियों ने दिघलबैंक प्रखंड के सीमावर्ती ईलाकों में दिनभर मक्के कि खेत में डेरा डालते हुए फसलों को बर्बाद किया है जबकि इस वर्ष अबतक हाथियों के प्रखंड के सीमावर्ती ईलाकों में आने कि यह 21 वीं घटना है. हाथियों के एक बार फिर से आने और दिनभर डेरा जमाए रखने के सूचना के बाबजूद वनकर्मी मौके से नदारद हैं और मक्का किसान सहित सीमावर्ती लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है.
जिस कारण लोगों में काफी आक्रोश है. पिछले 90 दिनों के अंदर 21 वीं बार नेपाल के जंगलों से दिघलबैंक प्रखंड में आये इन जंगली हाथियों के झुंड ने अबतक सीमावर्ती डोरीया, बिहारटोला,सुरीभिट्टा,गाछी, तालवारबंधा टंगटंगी गंधर्वडांगा,बांसबारी,मुलाबारी,नयाबाड़ी, डेरामारी, मोहमारी, सतकौआ तथा सालबरी आदि गांवों में जमकर उत्पात मचाया है. इस दौरान जहां इन हाथियों ने अबतक 50 से अधिक किसानों के खेतों में लगे फसलों को बर्बाद किया है. जिससे स्थानीय किसान काफी परेशान है.
दर्जनों कच्चे मकानों को हाथियों ने किया क्षतिग्रस्त
वहीं करीब दर्जन से अधिक गरीब परिवार के लोगों के कच्चे तथा पक्के घरों को क्षतिग्रस्त करते हुए उसमें रखे अनाज को भी अपने निशाने पर लिया है.
इधर सीमावर्ती इलाकों के लोगों की मानें तो पिछले कई वर्षों से इन हाथियों का आतंक कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. जिसका बहुत बड़ा खामियाजा यहां के गरीब किसानों को उठाना पड़ रहा है. मक्का के फसल में दाना लगते ही हाथियों द्वारा पिछले कई वर्षों से इन ईलाकों में दिन दिन भर मक्के के खेत में डेरा डालते हुए फसल को बर्बाद किया जाता है. यही नहीं इस बीच हाथियों द्वारा रात के समय गांव में घुसकर सोते हुए लोगों के घरों पर भी हमला कर दिया जाता है. जिससे सीमावर्ती गांव के लोग लगातार दहशत में रहने को मजबूर हैं और रतजगा कर समय काट रहे हैं.