बिहार

मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म ने बदल दी इस शख्स की किस्मत

Manish Sahu
28 Aug 2023 8:57 AM GMT
मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म ने बदल दी इस शख्स की किस्मत
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बिहार: बर्ड फॉर्मिंग अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है. अब युवा कई नई किस्म की प्रजाति से फॉर्मिंग कर मुनाफा कमा रहे हैं. नालंदा के विपीन कुमार को जब नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने यूटयूब पर बर्ड फॉर्मिंग को जाना. इसके बाद गिनीफाउल नामक मुर्गी का पालन शुरू किया. आज यह जीरो इन्वेस्टमेंट बर्ड’ मुनाफे का सौदा साबित हुआ. एक लाख से शुरू यह कारोबार आज 5 लाख तक पहुंच गया है.
राजगीर प्रखंड के नाहूब गांव निवासी विपीन कुमार ने कहा कि वह एक बार अपने दोस्तों के साथ घूमने गए थे. उसी दौरान इस प्रजाति की मुर्गी देखा. उसके बाद घूमकर लौटने के दौरान तीन पीस खरीदकर लाया. उसके बाद उससे 5 महीने में 17 चूज़ा और दर्जनों अंडा बेचा. जिसके अच्छा खासा मुनाफा हुआ और अभी भी 7 चीना मुर्गी है. जिसे आगे और बढ़ाया जाएगा. इसे कम खर्चा में दुगुना मुनाफा होगा. इसे खाने में घास और फ़ीड दिया जाता है. इसके अलावा देसी मुर्गी, कक्कड़नाथ, बत्तख, का भी फार्मिंग करते हैं. विपीन ने बताया कि यूट्यूब के जरिए विभिन्न प्रकार के पक्षियों की फार्मिंग शुरू की. जिसकी शुरुआत जापानी बटेर और देसी मुर्गी के पालन के साथ एक लाख़ रुपए की पूंजी निवेश कर किया गया था. आज एक साल पूरा होते हुए ₹5 लाख़ तक पहुंच चुका है.
देश के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की -”चितरा-” जिसे -”उत्तरी मैदानों में तितरी-” के नाम से जाना पहचाना जाता है. जबकि देश के कई हिस्सों में चीना मुर्गी के नाम से पहचान रखने वाली गिनीफाउल का पालन अब अब बिहार के नालंदा में होने लगा है. गिनीफाउल मुर्गे-मुर्गी और बत्तख के बाद तीसरी सबसे ज्यादा पसंदीदा कुक्कुट प्रजाति है. इसे ‘जीरो इन्वेस्टमेंट बर्ड’ भी कहते हैं. यह गर्मी, सर्दी या फिर बरसात समेत हर तरह के वातावरण के अनुकूल खुद को ढाल लेती है. इसके लिए दाने की भी चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. प्राकृतिक परिवेश के हिसाब से घास चुगकर अपने भोजन का अधिकतर हिस्सा ले लेती है. बीमार कम होती है. यह झुंड में रहती है, इसलिए देखभाल आसानी से होती है. किसी अजनबी जानवर या अन्य आहट पर पूरा समूह तेज आवाज करती है. हालांकि, अंडे सिर्फ गर्मियों में ही देती है. जो 100 से 110 अंडा देती है.
गिनीफाउल मुर्गी की है काफी डिमांड
विपीन कुमार ने आगे यह भी बताया कि वह स्नातक की पढ़ाई की है. जॉब नहीं लगा तो यूट्यूब के ज़रिए बिजनेस का सोच पक्षी फार्मिंग शुरू किया. जिससे फ़ायदा हो रहा है और गांव में ही 5 कट्ठा ज़मीन पर पक्षी की फार्मिंग कर रहे हैं. इसके साथ दूसरे लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. गिनीफाउल मुर्गी की डिमांड यहां भी है. लेकिन उतना पूरा नहीं कर पाते हैं. इसका अंडा और मांस स्वाद के साथ स्वास्थ के लिए भी बहुत रामबाण है. एक पीस अंडा की क़ीमत 35 रुपए है. जबकि चीना मुर्गी ₹700 किलो मिलती है. जो 5 से 6 महीना में दो किलो तक के वजन में तैयार हो जाती है.
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