बिहार

गांव में 300 की आबादी, लेकिन तीन दशक बाद भी न पेयजल है ना ही सड़क

Admin Delhi 1
17 May 2023 6:50 AM GMT
गांव में 300 की आबादी, लेकिन तीन दशक बाद भी न पेयजल है ना ही सड़क
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गया न्यूज़: साल 1991 में स्थापित एक गांव को आज भी विकास का इंतजार है. मामला बाराचट्टी प्रखंड की पतलूका पंचायत के दुआरी टोला बिचलितांद गांव से जुड़ा है. लगभग 31 साल पुराने गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली पहुंची है, बाकि अन्य मूलभूत सुविधाएं नदारद है. प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर गांव में सड़क, पेयजल, स्कूल आदि की सुविधाएं नहीं हैं. गांव में विद्यालय न रहने के कारण अधिकतर बच्चे पढ़ाई लिखाई के लिए दूसरे गांव के विद्यालयों में नहीं जाते हैं. गांव में पेयजल समस्या पिछले कई सालों से बनी है. साल 1991 में बेला गांव के कुछ ग्रामीण बिचलीटांड़ में आकर बस गए. देखते-देखते लगभग 35 घरों की बस्ती आबाद हो गई.

गांव में सड़क और पेयजल है बड़ी समस्या गांव का अब तक पक्की सड़क से न जुड़ पाना ग्रामीणों को खासी टीस देता है. सबसे ज्यादा परेशानी तो वर्षा ऋतु के दिनों में होती है जब गांव का संपर्क मुख्य बाजारों से टूट भी जाता है. लगभग साढ़े तीन सौ की आबादी वाले गांव के ग्रामीणों को पेयजल समस्या से भी इन दिनों जूझना पड़ रहा है. हालांकि यह समस्या पिछले 31 सालों से लगातार जारी है.

विकास के नाम पर सिर्फ बिजली पहुंची रिंकू देवी सरजू मंडल कहते हैं कि पिछले साल एक विदेशी संस्था की ओर से चापाकल लगाया गया था. मगर वह खराब हो गया था. हालांकि पिछले दिनों से दुरुस्त कर दिया गया है. इसके बावजूद भी गांव में चापाकल की जरूरत है. ग्रामीणों का कहना है कि शासन प्रशासन के लोग उनकी उनके समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन हैं.

संबंधित गांव के विकास को लेकर रूपरेखा बनाई जाएगी और मूलभूत समस्याओं से निजात को लेकर आवश्यक पहल की जाएगी. उन्होंने बताया कि पेयजल समस्या का निराकरण जल्द कराया जाएगा.

-पंकज कुमार, बीडीओ

राशन कार्ड नहीं होने से सरकारी लाभ से वंचित

ग्रामीणों का कहना है कि उनका राशन कार्ड भी अब तक नहीं बन पाया है जिस कारण उन्हें सरकारी अनाज योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. पूरी तरह महादलित बाहुल्य गांव के ग्रामीणों को इस बात को लेकर खासी टीस है कि आखिर किन कारणों से गांव का विकास नहीं किया जा रहा है. एक ओर राज्य सरकार की ओर से सभी गांव में विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं इस गांव के लिए अभी तक कोई रूपरेखा भी नहीं बनाई गई है. इस संबंध में ग्रामीणों ने गया के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन से मांग किया है कि जनहित में सड़क एवं पेयजल की समस्या से गांव को महफूज कराया जाए ताकि लोगों को गर्मी के दिनों में आसानी से पानी मिल सके.

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