बिहार

गांवों में आइसोलेशन वाले मरीजों की स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह निगरानी रखी जाएगी, सीएम नीतीश के निर्देश पर बनी एप

Renuka Sahu
12 Jan 2022 2:02 AM GMT
गांवों में आइसोलेशन वाले मरीजों की स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह निगरानी रखी जाएगी, सीएम नीतीश के निर्देश पर बनी एप
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फाइल फोटो 

बिहार के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की हिट एप से निगरानी होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की हिट एप से निगरानी होगी। सूचना प्रावैधिकी विभाग के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी रखी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने मंगलवार को ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान हिट एप का निर्माण किया गया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयार किए गए इस एप की सफलता की प्रधानमंत्री ने भी सराहना की थी और इसे अन्य राज्यों को अपनाने पर जोर दिया था। इस एप को कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भी बुधवार से उपयोग में लाया जाएगा।
वहीं, राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि शीघ्र ही हिट एप को लेकर ऑनलाइन राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा और उस प्रशिक्षण के आधार पर ही जिलों में संबंधित कर्मियों को एप के संचालन की जानकारी दी जाएगी।
सूचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव संतोष मल्ल ने बताया कि 17 मई, 2021 को हिट एप को लॉन्च किया गया था। इस एप के माध्यम से 1.5 लाख संक्रमित मरीजों की निगरानी की गयी थी। इस एप के माध्यम से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन 15 हजार मरीजों की निगरानी की गयी।
एएनएम प्रतिदिन लेंगी मरीजों का तापमान व ऑक्सीजन रेट
संतोष मल्ल ने बताया कि स्मार्टफोन के माध्यम से मरीज का तापमान व ऑक्सीजन रेट हिट एप पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही, संबंधित क्षेत्र के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी चिकित्सक व अन्य संबंधित कर्मी जुड़े रहेंगे और मरीज की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उनकी तत्काल सहायता की जा सकेगी। आवश्यकता पड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से पिछले वर्ष करीब तीन सौ संक्रमित मरीजों की जीवन रक्षा की गयी थी।
स्वास्थ्य विभाग को मिलीं 576 एंबुलेंस
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि परिवहन विभाग की ओर से मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत चयनित 576 एंबुलेंसों की सेवा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करायी है। प्रखंडवार सभी एंबुलेंसों की सूची प्राप्त हुई। इन सभी एंबुलेंसों का कोरोना काल में उपयोग किया जाएगा। इन एंबुलेंसों के उपयोग के मद में दो माह के किराये का भुगतान स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के मामलों की समीक्षा के बाद इन एंबलेंस के आगे उपयोग पर निर्णय होगा।
राज्य में एक हजार एंबुलेंसों के खरीद की निविदा प्रक्रिया शुरू
अमृत ने बताया कि राज्य में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त एक हजार एंबुलेंसों की खरीद को लेकर निविदा की प्रक्रिया शुरू की गयी है। इन एंबुलेंसों की खरीद के बाद विभाग इसे मरीजों की सुविधा के लिए उपयोग में ला सकेगा।
बिना लक्षण वाले मरीजों को कोरोना जांच की जरूरत नहीं
अमृत ने बताया कि कोरोना को लेकर घबराने की जरूरत नहीं, सचेत रहने की आवश्यकता है। इंडियन कौसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक दिन पूर्व जारी नयी दिशा-निर्देश के अनुसार बिना लक्षण वाले मरीजों की कोरोना जांच की जरूरत नहीं है। सर्दी, खांसी, बुखार वाले मरीज लगातार तीन दिन बुखार नहीं होने पर सातवें दिन स्वत: निगेटिव हो जाएंगे। जिनको कोरोना के लक्षण है, खांसी, बुखार है, स्वाद नहीं महसूस हो रहा है और वे 60 वर्ष से अधिक उम्र के गंभीर रोगों किडनी, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह व अन्य रोगों से ग्रसित हैं तो उन्हें कोरोना जांच करानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को कोरोना जांच करानी चाहिए जबकि घेरलू हवाई यात्रा करने वालों को कोरोना जांच की जरूरत नहीं है। वहीं, जो मरीज अस्पतालों में सर्जरी या गैर सर्जरी वाली बीमारियों के इलाज के लिए आ रहे हैं और उनमें कोरोना का लक्षण नहीं है तो उन्हें भी कोरोना जांच की जरूरत नहीं है। नई दिशा-निर्देश के अनुसार जो मरीज अस्पताल में भर्ती भी हैं तो उनका सप्ताह में एक बार से ज्यादा कोरोना जांच नहीं करना है।
एंटीजन टेस्ट में संक्रमित पाए गए हैं तो आरटीपीसीआर जांच कराना जरूरी नहीं है। संशोधित कोरोना संक्रमित मरीज डिस्चार्ज पॉलिसी के तहत होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीज सातवें दिन स्वस्थ होने के बाद घर से बाहर निकल सकते हैं। 93 डिगी से ऑक्सीजन रेट होने पर भी मरीज बाहर निकल सकते हैं, उन्हें जांच कराने की जरूरत नहीं है।
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