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बिहार | नगर निगम की सफाई कार्य में लगी एनजीओ को नगर निगम ने निजी संसाधनों को मामूली किराये पर दे रखा है. हालांकि पूर्व में दिए गए संसाधनों के किराए में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. पिछले एनजीओं को नगर निगम द्वारा दिए गए संसाधनों पर मेयर काजल कुमारी ने एक पक्ष को लाभ पहुंचाने व पैसे के बंदरबांट का आरोप लगाया था.
वहीं इस बार अन्य वार्ड पार्षद एक पक्ष को लाभ पहुंचाने व पैसे के बंदरबांट का आरोप लगा रहे हैं. नगर निगम के संसाधनों का निर्धारित किराया मामले को ले वार्ड पार्षदों समेत शहरवासियों ने भी अधिकारियों पर सवाल खड़े किये हैं. सफाई कार्य के लिए नगर निगम का जो संसाधन उपयोग में किया जा रहा है, उसका किराया काफी कम है. एग्रीमेंट में किराया कम करके अधिकारियों व एजेंसी कर्मियों द्वारा प्रति माह लाखों रुपए का बंदरबांट किया जा रहा है.जनप्रतिनिधियों व शहरवासियों का कहना है कि नगर निगम द्वारा जो संसाधन एनजीओ को दिया गया है, उसका निर्धारित किराया बाजार दर से काफी कम है. एग्रीमेंट के मुताबिक नगर निगम के जेसीबी का किराया 34 हजार 500 प्रतिमाह, टीपर का किराया चार हजार 600 प्रतिमाह, बड़ा टीपर पांच हजार 750 रुपए प्रतिमाह, बॉबकट-जेसीबी 27 हजार 600 रुपए प्रतिमाह, ट्रैक्टर चार हजार 600 रुपए प्रतिमाह, फॉगिंग मशीन पांच हजार 750 रुपए प्रतिमाह, सेक्शन मशीन पांच हजार 750 रुपए प्रतिमाह व टेम्पो का किराया तीन हजार 450 रुपए प्रतिमाह निर्धारित किया गया है. वहीं ठेला का किराया प्रतिमाह 460 रुपए निर्धारित है. हालांकि रख रखाव, डीजल व चालक के खर्चे की जिम्मेदारी एजेंसी की है.
शहर की सफाई कार्य में लगी एनजीओ को प्रतिमाह एक करोड़ चार लाख 50 हजार रुपए भुगतान करने को लेकर एकरारनामा हुआ है. पूर्व में एनजीओ को सफाई कार्य के लिए 86 लाख रुपए का भुगतान होता था. नए एनजीओ से हुए एकरारनामे के बाद सफाई कार्य में आने वाली खर्च में 18.50 लाख की वृद्धि हुई है.
● प्रतिमाह 1.4 करोड़ रुपए सफाई पर होते है खर्च
संसाधनों का निर्धारित किराया (प्रति माह)
जेसीबी 34500.
टीपर 4600.
बड़ा टीपर 5750.
ट्रैक्टर 4600.
फॉगिंग मशीन 5750.
सेक्शन मशीन 5750.
टेम्पो 3450.
ठेला 460.
एकरारनामे का नहीं होता है पालन
शहर की सफाई में लगे नए एनजीओ को जिम्मेवारी लिए13 दिन हो गए. लेकिन, एनजीओ द्वारा एकरारनामे के अनुसार कार्य नहीं किया जा रहा है. एकरारनामे के अनुसार सफाई एजेंसियों को डोर टू डोर गीला व सूखा कचरा को अलग-अलग संग्रह कर डंपिंग प्वाइंट पर निस्तारण करना है. सड़कों पर नियमित झाड़ू, व्यवसायिक क्षेत्रों में दो शिफ्टों में सफाई, कचरा उठाने के बाद चूना, गमैक्सीन, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, फॉगिंग के साथ बरसात में जलजमाव की निकासी की जिम्मेदारी है.
मेयर का कहना है कि संसाधनों के किराये में पूर्व की अपेक्षा 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं डीजल, चालक का खर्च समेत रखरखाव की जिम्मेदारी एनजीओ की है. -काजल कुमारी, मेयर
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Harrison
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