बिहार

रक्षाबंधन के अवसर पर दिया विश्व शांति सत्य अहिंसा एवं आपसी प्रेम का संदेश

Rani Sahu
12 Aug 2022 12:57 PM GMT
रक्षाबंधन के अवसर पर दिया विश्व शांति सत्य अहिंसा एवं आपसी प्रेम का संदेश
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सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में रक्षाबंधन के पवित्र अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया
बेतिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में रक्षाबंधन के पवित्र अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया ।इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रुप से विश्व शांति सत्य अहिंसा एवं आपसी प्रेम का संदेश रक्षाबंधन के अवसर पर देते हुए कहा कि आज पूरा भारतवर्ष समेत पूरे विश्व में रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
सनातन धर्म में रक्षा बंधन पर्व का विशेष महत्व है. रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को यानी कि हिंदी चंद्र कैलेंडर महीने के आखरी दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर अगस्त में पड़ता है. भारत और नेपाल जैसे देशों में मनाया जाने वाला यह त्योहार भाई बहन के पवित्र रिश्तें और अटूट प्यार का प्रतीक है. आज के दौर में जब रिश्ते धुधंलाते जा रहे हैं, ऐसे में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है रक्षाबंधन का त्योहार. रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है ।
रक्षाबंधन 'रक्षा' तथा 'बंधन' दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है और संस्कृत भाषा के अनुसार इसका अर्थ होता है "रक्षा का बंधन या गाँठ " यानि ऐसा बंधन जो रक्षा/सहायता प्रदान करे।राखी को रक्षासूत्र या रक्षा का धागा इसलिए कहा जाता है कि बहनें भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वादा करवाती है और भाई उस फ़र्ज़ को निभाने की जिम्मेदारी लेते है।
16वीं शताब्दी के मध्य मे चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती थी जो विधवा थी। उनके साम्राज्य पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया था।जब अकेली रानी को लगने लगा कि बहादुर शाह से चित्तौड़ से चित्तौड़ को बचाया नहीं जा सकता है तो उन्होंने सम्राट हुमायूं को एक राखी भेजी एवम बहन होने के नाते युद्ध में सहायता मांगी।
हुमायूं ने रानी कर्णावती के इस आमंत्रण को स्वीकार किया और भाई का फर्ज निभाते हुए अपनी सेना भेजकर युद्ध में मदद की।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि यूनानी शासक सिकंदर विश्व को फतह करने के उद्देश्य से भारत पर हमला करता है तो उसका सामना भारतीय राजा पोरू (पोरस) से होता है।राजा पोरू बहुत वीर और बलशाली राजा थे और उन्होंने सिकंदर को युद्ध में घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।जब सिकंदर की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला तो उन्होंने सम्राट पूर्व के लिए राखी के रूप में रक्षा सूत्र भेजा और विनती की कि वो युद्ध में सिकंदर को जान से नहीं मारेंगे।सम्राट पूर्व ने शत्रु की पत्नी द्वारा भेजी गई राखी का सम्मान किया और सिकंदर को न मारने का वचन दिया।
अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि राजा बली भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। बली की असीम भक्ति के कारण प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने अपने स्थान वैकुण्ठ को छोड़कर बाली के राज्य को सुरक्षा देना शुरू कर दिया।देवी लक्ष्मी इस बात से दुखी हो गई और उसने भगवान विष्णु को बाली के पास से वापस अपने स्थान वैकुण्ठ पर लाने के लिए एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास रहने लगी।एक दिन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी ने राखी बांधी और उपहारस्वरूप उनसे कुछ मांगा। बलि ने इस बात को माना और उन्हें कुछ भी मांगने का अवसर दिया।
इस पर देवी लक्ष्मी ने अपने असली रूप में आकर बलि से भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ लोक भेजने को कहा। अपने किए वादे के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु को वैकुंठ जाने दिया।कहा जाता है कि उसी दिन से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।भविष्य पुराण के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच हुए भयंकर युद्ध में भगवान इंद्र अपना राज्य अमरावती हार गए।इस स्थिति को देखकर इंद्र की पत्नी सची भगवान विष्णु के पास मदद के लिए गई। विष्णु ने एक सूती धागे को दिया और सची से कहा कि इसे अपने पति इंद्र की कलाई पर बांध देना।
अंततः इंद्र ने इस धागे को बांधने के बाद राक्षसों को युद्ध में हराया और अपने राज्य को पुनः प्राप्त किया।जब भगवान कृष्ण ने दोस्त राजा शिशुपाल को मारा तो उन्हें अपने अंगूठे में चोट लगी थी। इसे देखकर द्रोपदी ने चोट की जगह अपने वस्त्र का टुकड़ा बांधा था। उस दिन से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और जरूरत पड़ने पर सहायता करने का वादा किया।अनेक वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को कौरवों से जुए में हार गए थे तो भगवान कृष्ण ने आकर द्रोपदी की रक्षा की और लाज बचाई थी।
रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है और जैसा कि आप जानते हैं इसे सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।रक्षाबंधन में राखी का सबसे अधिक महत्व होता है। आजकल बाजार में कई प्रकार की राखियां आती है जो विभिन्न प्रकार की जैसे रंगीन कलावे, रेशमी धागे या कई महंगी वस्तुओं की बनी होती है।रक्षाबंधन के दिनों में बाजार में कई सारे उपहार बिकते हैं, लोग नए-नए कपड़े खरीदने हैं। बहनें भाइयों के लिए राखी खरीदती है तथा भाई बहनों के लिए उपहार खरीदते हैं।
Rani Sahu

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