शेरघाटी के स्लम एरिया तक नहीं पहुंची तालीम की रौशनी, बच्चे आज भी चुन रहे हैं कचरा
गोपालगंज: शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बावजूद शेरघाटी के स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों तक तालीम की रौशनी नहीं पहुंची है. यही वजह है कि शहर में हर दिन सुबह और शाम नंगे पैर और फटे-गंदे कपड़ों में रहने वाले बच्चे हाथ में बड़ा झोला लटकाए कचरे के ढेर से प्लास्टिक बीनते नजर आते हैं.
यह आम नजारा है. जनप्रतिनिधियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं से लेकर सरकारी कारिंदे तक बच्चों की इस दुर्दशा पर खामोश तमाशबीन बने हैं. शहर के नई बाजार में कचरे के ढेर से काम की चीजें ढूंढने वाली सात साल की एक बच्ची ने बताया कि वह प्रतिदिन कचरे से बीस रुपये कमा लेती है. वह निकट की ही स्लम एरिया में अपने माता पिता के साथ रहती है. आठ साल का एक अन्य बालक करण कहता है कि वह कचरे से कमाए पैसे को अपने घर में देता है.
बच्चों की यह स्थिति तब है जब सरकारी स्कूलों में स्लम एरिया के बच्चों के दाखिले के लिए टोला सेवक तक बहाल किए गए हैं. विकास मित्रों को भी वंचित-पीड़ित परिवार को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की जिम्मेवारी दी गई है. इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त पढ़ाई की योजना है सो अलग.
बाराचट्टी में लोगों के लिए खोले गए प्याऊ: ग्रामीण स्वच्छता मिशन की ओर से भीषण गर्मी को देखते हुए प्याऊ की व्यवस्था की गई है. इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर एस हक ने बताया कि प्रखंड के तेरह पंचायत में ग्रामीण स्वच्छता मिशन की ओर से प्याऊ लगाया गया है. इसी कड़ी के तहत तेरह पंचायत में भी केंद्र खोला गया. जिसकी शुरूआत की गई. इससे लोगों को राहत मिलेगी.